नई दिल्लीः वर्ष 1947 में मिली आज़ादी के बाद अब भारत को वैचारिक गुलामी से आज़ादी लेने की ज़रूरत है. सोमवार (10 जनवरी) को पूरी दुनिया में विश्व हिन्दी दिवस मनाया गया. लेकिन क्या हमारे देश में हिन्दी बोलने को भी उतना ही फैशनेबल माना जाता है, जितना अंग्रेज़ी बोलने को?. आज भी माता-पिता मेहमानों के सामने यही दिखाना चाहते हैं कि कैसे उनका बच्चा फर्राटेदार अंग्रेज़ी बोलता है. क्या अब समय आ गया है कि हम अंग्रेज़ी की वैचारिक गुलामी से आज़ादी पाने की कोशिश करें. और हिन्दी भाषा को भी उतना ही मजबूत बनाएं, जितना दुनिया की बाकी बड़ी भाषाएं हैं. आपको बता दें कि दुनियाभर में 1500 भाषाएं ऐसी हैं, जो अब विलुप्त होने की कगार पर हैं. क्योंकि इन भाषाओं को बोलने वाले लोग अब धीरे धीरे कम होते जा रहे हैं


महात्मा गांधी का सपना नहीं हो सका पूरा


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दुनिया भर में हिंदी भाषा के प्रचार और प्रसार के लिए वर्ष 2006 में विश्व हिंदी दिवस की शुरुआत हुई थी. और महात्मा गांधी ने एक बार कहा था कि जैसे ब्रिटेन में अंग्रेजी बोली जाती है और सारे कामकाज अंग्रेजी में होते हैं, वैसे ही हिंदी को हमारे देश में राष्ट्रभाषा का सम्मान मिलना चाहिए. लेकिन महात्मा गांधी का ये सपना कभी पूरा नहीं हुआ. हमारे देश से अंग्रेज़ तो चले गए, लेकिन अंग्रेज़ी भाषा कभी नहीं गई. और भारत के लोग वैचारिक रूप से अंग्रेज़ी भाषा के गुलाम बन गए


अपनी मातृभाषा पर भी गर्व कीजिए


हम यहां अंग्रेज़ी और हिन्दी भाषा के बीच तुलना नहीं कर रहे हैं. और ना ही ये कह रहे हैं कि अंग्रेज़ी भाषा आपको नहीं बोलना चाहिए. आप बिल्कुल अंग्रेज़ी भाषा के बारे में जानकारी रखिए. लेकिन इसके साथ ही अपनी मातृभाषा पर भी गर्व कीजिए. इसे शर्मिंदगी का विषय मत मानिए. वैसे 15 अगस्त 1947 को भारत अंग्रेज़ों से तो आज़ाद हुआ, लेकिन ये आज़ादी हमें वैचारिक रूप से कभी सम्पन्न नहीं कर पाई. और आपको ये बात जानकर आश्चर्य होगा कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु ने आज़ादी पर अपना पहला भाषण सिर्फ़ अंग्रेज़ी में ही दिया था, जिसे, A Tryst With Destiny के नाम से इतिहास के पन्नों में याद किया गया है. हिन्दी में इसका अर्थ होता है नियति से साक्षात्कार. सोचिए अंग्रेज़ों से आज़ादी मिलने पर.. अंग्रेज़ी में ही भाषण दिया गया. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि अंग्रेज़ों ने हमारे शरीर तो आज़ाद किए लेकिन हमारी आत्मा को उन्होंने अपनी संस्कृति की परछाई में ही रखा. और हमने हिंदी भाषा से ज्यादा अंग्रेज़ी भाषा को ही महत्व दिया.


देश का संविधान मूल रूप से अंग्रेजी भाषा में


उदाहरण के लिए, हमारे देश का संविधान मूल रूप से अंग्रेज़ी भाषा में ही लिखा गया, जहां सैकड़ों बार India शब्द का इस्तेमाल किया गया है. भारत के संविधान की शुरुआत में लिखा गया है... India, that is Bharat... यानी India जो कि भारत है . इससे ऐसा ही लगता है, जैसे India शब्द को ज़्यादा प्रमुखता दी गई है, ताकि अंग्रेज़ी भाषा का महत्व कम ना हो. अंग्रेजी में जैसा लिखा जाता है, कई बार वैसा बोला नहीं जाता है और ये कई लोगों के लिए परेशानी की वजह बन जाती है. लेकिन, हिंदी में एक भी ऐसा शब्द नहीं है, जिसका उच्चारण उसके लिखने से थोड़ा सा भी अलग हो. यही वजह है कि अंग्रेज़ों ने हिंदी को Best Phonetic Language कहा था. लेकिन दुर्भाग्य देखिए कि अंग्रेजों को तो हिंदी की कद्र थी, लेकिन खुद भारत में हिंदी का सम्मान करने वाले लोग कम होते गए.


पूरी दुनिया में हर छठे आदमी को है हिंदी की समझ


दुनियाभर में 120 करोड़ लोग हिन्दी बोलते हैं. यानी हर छठा आदमी हिंदी समझता है, लेकिन इसके बावजूद हमारे देश में हिंदी को लेकर कई लोगों में हीन भावना है. अगर सामने वाला अंग्रेज़ी बोल रहा हो.. तो हिंदी बोलने वाला कई बार दबाव में आ जाता है और शर्म महसूस करने लगता है. हिंदी भाषा के प्रति इसी हीन भावना के कारण मशहूर व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई ने एक बार कहा था कि 'हिंदी दिवस के दिन... हिंदी बोलने वाले.. दूसरे हिंदी बोलने वालों से कहते हैं कि हिंदी में बोलना चाहिए.' ये हमारे देश के लोगों का सबसे बड़ा सच है. हिन्दी हमारी मातृभाषा है. यानी ये भारत के लोगों के लिए मां की तरह है. जैसे एक बच्चा अपनी मां से लिपटा रहता है, ठीक वैसे ही बचपन में लोग अपनी मातृभाषा के इर्द गिर्द रहते हैं. लेकिन फिर जैसे ही वो बच्चा एक बड़ा आदमी बन जाता है और अपनी मां को भूल जाता है. ठीक वैसे ही लोग अपनी मातृभाषा को भी भूल जाते हैं.


हिंदी का मतलब हिंद में रहने वाले लोग


हिंदी का मतलब है, हिंद में रहने वाले लोग. हिंदी शब्द की उत्पत्ति सिंधु नदी से हुई. आज के ईरान यानी प्राचीन काल के फारस यानी Persia से आए लोग...'स' को 'ह' बोलते थे. उन्होंने सिंधु को हिंदू कहा. इसी हिंदू से बना हिंद. और हिंद से बनी हिंदी. हिंद के लोग हिंदी कहलाने लगे. और हिंद की भाषा भी इस तरह से हिंदी बन गई. हमारे देश में संस्कृत को आदि-भाषा यानी सबसे पुरानी भाषा माना जाता है. हिंदी का मूल संस्कृत ही है. लेकिन बाहर से आई सभ्यताओं के शब्द भी हिंदी ने उदारता के साथ स्वीकार किए. माना जाता है कि 1000 ईसवी के आस-पास हिंदी की स्वतंत्र सत्ता स्थापित हो गई. यानी हिंदी का वो स्वरूप जो आज हमारे पास है, वो सबसे पहले 1000 ईसवी के आसपास सामने आया था .


समय के साथ-साथ हिन्दी का अस्तित्व कमज़ोर हुआ


लेकिन इसके बावजूद समय के साथ-साथ हिन्दी का अस्तित्व कमज़ोर हुआ. और आज आप खुद से ये सवाल पूछिए कि आप बिना दूसरी भाषा के शब्दों को इस्तेमाल किए हुए.. कितनी देर तक हिंदी बोल सकते हैं? शायद ये काम आपके लिए बहुत मुश्किल हो. आज हमारे देश में शिक्षा.. हिन्दी और अंग्रेज़ी मीडियम स्कूल में बंट चुकी है. अगर आपका बच्चा हिन्दी मीडियम स्कूल में पढ़ता है तो उसे कम होशियार समझा जाता है. लेकिन अगर कोई बच्चा अंग्रेज़ी मीडियम स्कूल में पढ़ता है तो उस बच्चे के माता पिता ये बात गर्व से अपने रिश्तेदारों के बीच बताते हैं.


क, ख, ग, घ में नज़र नहीं आता आकर्षण


आज आप हिन्दी के किसी शब्द का गलत उच्चारण कर दें तो इसे गलत नहीं माना जाता. लेकिन आपने अंग्रेज़ी के किसी शब्द का गलत उच्चारण किया तो आपके आसपास मौजूद लोग आपकी गलती बताने में समय नहीं लगाते. हम बच्चों के मुंह से A, B, C, D सुनना तो पसन्द करते हैं, लेकिन क, ख, ग, घ में हमें वो आकर्षण नज़र नहीं आता. अंग्रेज़ी में लोगों को Good Morning से लेकर Good Night तक सबकुछ Good लगता है. लेकिन हिन्दी के सुप्रभात और शुभ रात्रि में लोगों को शर्मिंदगी महसूस होती है. और अंग्रेज़ी बोलने वालों के बीच.. हिंदी बोलने लोग अक्सर खुद को कम करके आंकते हैं. और ये बहुत सारे लोगों के साथ होता है.


जानें हिंदी की अहमियत के बारे में


अगर आप भी हिंदी के शब्दों से परहेज़ करते हैं...और आपको लगता है कि हिंदी के मुकाबले अंग्रेज़ी ज़्यादा समृद्ध भाषा है तो अब हम आपको Oxford English Dictionary में...हिंदी की अहमियत के बारे में बताना चाहते हैं... Oxford Dictionary ने महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए हिंदी के चर्चित शब्द 'नारी शक्ति' को वर्ष 2018 का हिंदी शब्द चुना था. 2017 में Oxford English Dictionary में 600 से ज्यादा नए शब्द शामिल किए गए, जिनमें हिंदी के शब्द चना और चना दाल भी शामिल थे . भेलपूड़ी...चूड़ीदार ...ढाबा...और अरे यार.... जैसे शब्द Oxford English Dictionary में पहले ही शामिल हो चुके हैं. धोती, बासमती, घी, कबाब, चटनी, चीता, बंगला, बदमाश, दीदी, मसाला, पूरी और बिंदी जैसे शब्द पहले से ही Oxford English Dictionary में शामिल हैं.


हिन्दी से जन्मे अंग्रेजी शब्द


हिंदी में ऐसे कई शब्द हैं..जिन्हें अंग्रेजी ने सम्मान के साथ अपनाया है... हिंदी का शब्द अवतार..अंग्रेजी ने अपनाया..और ये शब्द पश्चिमी देशों को बहुत पसंद आया... हॉलीवुड में सुपरहिट फिल्म भी बन चुकी है.. जिसका नाम है अवतार... अंग्रेजी में चूड़ियों को Bangles कहते हैं..जो हिंदी के शब्द बांगड़ी से बना है..जो एक तरह की चूड़ी होती है... अंग्रेजी शब्द Bunglow भी हिंदी से आया है...बड़े आकार के मकानों को हिंदी में बंगला कहा जाता है.. अंग्रेजी शब्द Mantra की उत्पत्ति संस्कृत और हिंदी के शब्द मंत्र से ही हुई है. और सत्रहवीं शताब्दी से भारत में इस्तेमाल हो रहे चंपी शब्द से अंग्रेजों ने Shampoo शब्द बना लिया था और ऐसे ही हिंदी शब्द चटनी से Chutney...


मातृभाषा और विरासत का सम्मान जरूरी


ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि हमने आज़ादी को शासन व्यवस्था पर नियंत्रण तक सीमित माना. और वैचारिक आज़ादी के बारे में कभी सोचा ही नहीं. वैचारिक आज़ादी तब तक नहीं मिल सकती , जब तक आप अपनी संस्कृति पर गर्व ना करें, अपनी मातृभाषा और अपनी विरासत का सम्मान ना करें. हमेशा याद रखिए, भाषा संवाद के लिए होती है, ना कि ये एक दूसरे को आंकने का आधार है. और इसे आप Tokyo Olympics में Gold Medal जीतने वाले नीरज चोपड़ा के चार साल पुराने वीडियो से समझ सकते हैं. इस वीडियो में वो एक पत्रकार को हिन्दी में सवाल पूछने के लिए कहते हैं. वैसे तो इसमें कुछ भी असाधारण नहीं है. लेकिन जो बात समझने की है, वो ये कि हमारे देश में बहुत सारे लोग ऐसा करने की भी हिम्मत नहीं कर पाते.


भारत में कितने लोग हिन्दी में लिख और बोल पाते हैं?


आपको हिन्दी की ताकत के बारे में भी पता होना चाहिए. 2011 की जनगणना के मुताबिक़.. भारत में लगभग 53 करोड़ लोग हिन्दी में बोल और लिख पाते थे.  जबकि 2001 में केवल 41 करोड़ लोग ही हिन्दी में बोल लिख पाते थे. वर्ष 2014 में सिर्फ 12 करोड़ लोग ही हिंदी के अखबार पढ़ते थे. लेकिन आज देश में हिंदी के अखबार पढ़ने वालों की संख्या 18 करोड़ 60 लाख हो चुकी है. Google के एक अध्ययन के मुताबिक इस साल के अंत तक भारत में इंटरनेट पर हिंदी का इस्तेमाल करने वालों की संख्या, अंग्रेज़ी का इस्तेमाल करने वालों से ज़्यादा हो जाएगी. ये संख्या क़रीब 38 प्रतिशत होगी.


पूरी दुनिया में बोली जाने वाली तीसरी सबसे बड़ी भाषा हिन्दी


हिन्दी पूरी दुनिया में बोली जाने वाली तीसरी सबसे बड़ी भाषा है. पहले स्थान पर अंग्रेज़ी भाषा है, जिसे दुनियाभर में 135 करोड़ लोग बोलते हैं. दूसरे स्थान पर चीन की Mandarin भाषा है, जिसे 120 करोड़ लोग बोलते हैं. तीसरे स्थान पर हिन्दी है, जिसे 75 करोड़ लोग बोलते हैं. चौथे पर 54 करोड़ लोगों के साथ Spanish और लगभग 28 करोड़ों लोगों के साथ Arabic भाषा पाचवें स्थान पर है. भाषा किसी भी राष्ट्र और समाज के लिए सिर्फ़ उसकी आवाज़ नहीं होती. बल्कि ये उस देश की संस्कृति को भी जीवित रखती है. लेकिन Australian National University में हुई एक Study के मुताबिक़ इस समय दुनिया की हर 100 में से 20 भाषाएं विलुप्त होने की कगार पर हैं.



पूरी दुनिया में 7 हज़ार भाषाओं को मान्यता


इस समय पूरी दुनिया में 7 हज़ार भाषाओं को मान्यता मिली हुई है, जिनमें से 1500 भाषाएं ऐसी हैं, जिन्हें बोलने वाले बहुत कम लोग बचे हैं. इनमें से बहुत सारी भाषाएं ऐसी हैं, जो विकसित देशों की है. उदाहरण के लिए ब्रिटिश शासन आने से पहले ऑस्ट्रेलिया में कुल 250 भाषाएं अस्तित्व में थीं. लेकिन अंग्रेज़ों के आने के बाद इनमें में से कई भाषाएं समाप्त हो गईं. और आज केवल 40 भाषाएं ही इनमें से जीवित बची हैं. यही नहीं इन 40 भाषाओं में से 12 भाषाएं ही ऐसी हैं, जिन्हें ऑस्ट्रेलिया के लोग अपनी नई पीढ़ी को सिखाना चाहते हैं. यानी भविष्य में वहां की 28 और भाषाएं विलुप्त हो जाएंगी. इसे आप ऐसे समझिए कि.. आपके परदादा की कोई मातृभाषा थी. उन्होंने इसके बारे में आपके आपके दादा को बताया. आपके दादा ने आपके पिता को वो भाषा कम ही सिखाई. और अब आपके पिता ने वो भाषा आपको बताई ही नहीं है. और जब आपको इस भाषा के बारे में पता ही नहीं होगा, तो वो पूरी तरह विल्पुत हो जाएगी.


भाषा के मामले में भारत बेहद समृद्ध


भाषा के लिहाज़ से भारत को काफ़ी समृद्ध माना जाता है. लेकिन इस Study के मुताबिक़ भारत में भी आज 600 भाषाएं ख़तरे में हैं. ये भाषाएं ज्यादातर आदिवासी और बंजारा समुदाय के बीच बोली जाती हैं. और अगर ये भविष्य में विलुप्त हो गईं तो इसके साथ ही इन लोगों का इतिहास, इनके रीति रिवाज़, इनका साहित्य, इनके गीत, परम्परा और इनकी संस्कृति सबकुछ विलुप्त हो जाएंगे. कोई भी भाषा एक Library की तरह होती है, जो खुद में सभी तरह की जानकारी इकट्ठा करके रखती है. आपको ज्ञान से लेकर विज्ञान तक सब उस भाषा में मिल जाता है. लेकिन अगर वो भाषा ही ना रहे यानी वो Library ही ना रहे तो आप उस समुदाय के बारे में कुछ नहीं जान सकते. इसलिए हमें लगता है कि जिस तरह से आज विलुप्त हो रहे जानवरों और पक्षियों के लिए दुनियाभर में मुहिम चलाई जाती है. और उनके लिए National Parks बनाए जाते हैं. ठीक उसी तरह भाषाओं के संरक्षण के लिए भी दुनिया को गम्भीरता से सोचने की ज़रूरत है.