Andhra University: हममें से ज्यादातर लोग रिटायर होने का इंतजार करते हैं और अपनी रिटायरमेंट लाइफन को आरामदायक बनाने के प्लान बनाते रहते हैं. लेकिन 93 वर्ष की प्रोफेसर संथम्मा के लिए उम्र सिर्फ एक शब्द है और रिटायरमेंट एक विदेशी कॉन्सेप्ट है. टीचिंग के अपने जुनून को पूरा करने के लिए, यह हर दिन विजाग से विजयनगरम तक 60 किलोमीटर की यात्रा करती है. यह आंध्र के सेंचुरियन विश्वविद्यालय में फिजिक्स पढ़ाती हैं.


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प्रोफेसर संथम्मा की मां वनजक्षम्मा कथित तौर पर 104 वर्ष की उम्र तक जीवित रही, एक ऐसा तथ्य जो इस 93 वर्षीय यूनिवर्सिटी प्रोफेसर को प्रेरित करता है. इस उम्र में, वह वास्तव में दुनिया की सबसे उम्रदराज प्रोफेसर हैं.


प्रोफेसर संथम्मा ने आंध्र विश्वविद्यालय से फिजिक्स में बी.एससी ऑनर्स और माइक्रोवेव स्पेक्ट्रोस्कोपी में डी.एससी (पीएचडी के समकक्ष) की उपाधि प्राप्त की है.


लंबा प्रतिष्ठित करयिर
अपने लंबे, प्रतिष्ठित करियर में, प्रोफेसर संथम्मा ने ने कई भूमिकाएं निभाई हैं; केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों की लेक्चरार, प्रोफेसर,रीडर और यहां तक कि इन्वेस्टिगेटर भी रही हैं.


मिले कई सम्मान और पुरस्कार
प्रोफेसर संथम्मा को परमाणु स्पेक्ट्रोस्कोपी और आणविक स्पेक्ट्रोस्कोपी के अपने विश्लेषण के लिए कई सम्मान और पुरस्कार भी मिले हैं और 2016 में वयोवृद्ध वैज्ञानिक वर्ग में स्वर्ण पदक भी जीता है.


लिखी है यह किताब
वह एक लेखक भी हैं; उन्होंने पुराणों, वेदों और उपनिषदों पर एक पुस्तक लिखी, जिसका शीर्षक था, ‘भगवद गीता - द डिवाइन डायरेक्टिव’.


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