नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तीन वर्ष पहले आरंभ किए गए स्वच्छ भारत अभियान की शुरूआत से वर्ष 2017 तक स्वच्छता अभियान के तहत कवर किया गया क्षेत्र बढ़कर दोगुना हो गया है. पेय जल एवं स्वच्छता मंत्रालय ने इस अभियान के तहत अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए सूचना, शिक्षा एवं संचार (आईईसी) कार्यक्रम पर ध्यान केंद्रित किया. उसने लोगों को शौचालयों के इस्तेमाल के बारे में जानकारी देने, स्वच्छता एवं सफाई को प्रोत्साहित करने के लिए शैक्षणिक गतिविधियां भी आयोजित कीं.


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शौचालयों के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करते हुए वर्ष 2014 से मकानों में 568.15 लाख शौचालय बनाए गए यानी तब से स्वच्छता कवरेज में 35.45 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. इस साल 18 दिसंबर को स्वच्छता कवरेज 74.15 प्रतिशत थी जबकि दो अक्तूबर 2014 को यह 38.70 प्रतिशत थी. सरकार ने आठ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों..... सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, केरल, उत्तराखंड, हरियाणा, गुजरात, चंडीगढ़ और दमन दीव को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया.


मंत्रालय देश को वर्ष 2019 तक खुले में शौच से मुक्त देश का लक्ष्य हासिल करने के लिए अन्य मंत्रालयों, राज्य सरकारों, स्थानीय संस्थानों, गैर सरकारी संगठनों, पंथ संगठनों, मीडिया और अन्य अंशधारकों के साथ मिलकर काम कर रहा है. वित्त मंत्रालय ने इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए उचित बजट का प्रावधान किया है. वित्त वर्ष 2017-18 में मंत्रालयों एवं विभागों ने अपनी स्वच्छता कार्य योजना के लिए 12,468.62 करोड़ रुपए का कोष तय किया है.


इस अभियान के अंतर्गत सरकार ने एक विशेष पहल के तहत 100 आदर्श स्वच्छ पर्यटन केंद्रों को चिह्नित किया है. इन प्रयासों के बावजूद टेरी का कहना है कि हालांकि कुछ शहर ओडीएफ प्लस का दर्जा हासिल करने की दिशा में काम कर रहे हैं लेकिन कई शहर स्थायी स्वच्छता के लिए अपशिष्ट के उचित निपटान के मामले समेत समग्र नजरिया अपनाने में पीछे रहे हैं. सरकार ने एक नवोन्मेषी पहल के तहत एक ऐप जारी किया है, जिसमें गूगल टॉयलेट लोकेटर सर्विस है. यह ऐप निकटवर्ती सार्वजनिक शौचालय की दिशा और दूरी के बारे में बताता है.