Silk Production: योगी सरकार किसानों को देगी बड़ी सौगात, अब रेशम से रोशन होगी उनकी जिंदगी
Silk Production In UP: योगी सरकार की पहल से करीब 50 हजार किसानों को फायदा होगा. यूपी में सिल्क के प्रोडक्शन को कई गुना तक बढ़ाने की तैयारी कर ली गई है.
Yogi Adityanath Gifts To Farmers: उत्तर प्रदेश (UP) की योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सरकार ने 50 हजार किसानों (Farmers) को खुशहाल बनाने की तैयारी कर ली है. सरकार रेशम के जरिए किसानों के परिवारों की जिंदगी को रोशन करेगी. इसके लिए मशीनों की संख्या बढ़ाकर इसे कई गुना तक ले जाने के प्लान पर काम चल रहा है. बता दें कि अगले 5 साल में फिलहाल यह संख्या 29 हजार है. योगी सरकार-2.0 ने इसके लिए चुनौतीपूर्ण लक्ष्य रखा है. इसके मुताबिक, ककून धागाकरण का लक्ष्य करीब 30 गुना बढ़ाया गया है. जान लें कि अभी 60 मीट्रिक टन ककून से धागा बनाया जा रहा है. अगले 5 साल में इसे बढ़ाकर 1750 मीट्रिक टन किए जाने का लक्ष्य है. वहीं रीलिंग मशीनों की संख्या को 2 से बढ़ाकर 45 यानी 23 गुना किए जाने का टारगेट रखा गया है.
योगी सरकार ने पूरा किया ये लक्ष्य
जान लें कि योगी सरकार ने 100 दिन, 6 महीने, 2 साल और 5 साल के लिए चरणबद्ध तरीके से योजना शुरू की है. इसपर काम लगातार जारी है. गौरतलब है कि 100 दिनों में सरकार ने इस टारगेट को पूरा करने के लिए केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय की तरफ से संचालित केंद्रीय रेशम बोर्ड की सिल्क समग्र योजना के तहत 100 किसानों को कीटपालन गृह निर्माण, पौधरोपण, प्रशिक्षण एवं उपकरण के लिए अनुदान उपलब्ध कराया गया है.
रेशम का उत्पादन बढ़ाने के लिए क्या है प्लान
योगी सरकार ने रेशम की खेती करने वाले और इससे जुड़े अन्य स्टेकहोल्डर्स के लिए अगले 6 महीने और 2 साल का जो लक्ष्य रखा है, उसके मुताबिक, सिल्क एक्सचेंज से अधिकतम बुनकरों को जोड़ा जाएगा. 17 लाख शहतूत और अर्जुन का पौधरोपण होगा. इसके अलावा कीटपालन के लिए 10 सामुदायिक भवनों के निर्माण की शुरुआत की जाएगी. वहीं, ओडीओपी योजना के तहत इंटीग्रेटेड सिल्क कॉम्प्लेक्स का डिजिटलाइजेशन, 180 लाख रुपये की लागत से 10 रीलिंग इकाइयों की स्थापना और कीटपालन के लिए 10 अन्य सामुदायिक भवन का निर्माण भी इसी लक्ष्य का हिस्सा है.
यूपी की रेशम के उत्पादन में है कितनी हिस्सेदारी
बता दें कि कुल रेशम उत्पादन में अभी यूपी की हिस्सेदारी महज 3 फीसदी है. कड़ी मेहनत से यह हिस्सेदारी 15 से 20 फीसद तक हो सकती है. मार्केट की भी कोई कमी नहीं है. जान लें कि अकेले वाराणसी और मुबारकपुर में इसकी सालाना मांग 3000 मीट्रिक टन है. इस मांग की सिर्फ 1 फीसदी आपूर्ति ही उत्तर प्रदेश से हो पाती है.
(इनपुट- आईएएनएस)
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