नई दिल्ली: गोरखपुर और फूलपुर उपचुनावों में बीजेपी की हार पर केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद प्रसाद ने कहा कि गोरखपुर में हार का हमें दुख है. इसका आत्‍म निरीक्षण किया जाएगा. लेकिन इसके साथ ही कहा कि उपचुनावों को किसी प्रकार का ट्रेंड नहीं समझना चाहिए. इससे पहले कई बार सत्‍ताधारी दल उपचुनावों में हार जाते हैं, लेकिन आम चुनावों में स्थिति भिन्‍न होती है. ऐसे में कहना चाहते हैं कि उपचुनाव के नतीजे विपक्ष को मुबारक हों लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व में अगला आम चुनाव हम फिर जीतेंगे.


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2जी का फैसला गलत
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि 2जी फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह फैसला पूरी तरह से गलत है. संबंधित जज ने कई सबूतों को नजरअंदाज किया है. मैंने 1500 पेज के उस जजमेंट को पढ़ा है. हम इसके खिलाफ अपील करेंगे.


यूपी में 2 लड़के पिछले साल मिले
रविशंकर प्रसाद ने उपचुनावों की हार के बाद सपा-बसपा गठबंधन बनने की संभावना पर कटाक्ष करते हुए कहा कि पिछले साल भी यूपी में दो लड़के (अखिलेश यादव-राहुल गांधी) भी मिले थे, उसका हश्र क्‍या हुआ? सभी जानते हैं. अब सपा-बसपा गठबंधन की बात पर मैं यह कहना चाहता हूं कि इसमें नेता कौन होगा? पहले उनको यह बताना होगा. ऐसा इसलिए भी क्‍योंकि समाजवादियों के बारे में मेरी एक राय है कि ये एक साल से अधिक साथ नहीं रह सकते और दो साल से अधिक अलग नहीं रह सकते.


अखिलेश यादव
इससे पहले #ZeeIndiaConclave में गोरखपुर और फूलपुर उपचुनावों में बीजेपी की हार पर बोलते हुए उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने कहा कि इन दोनों जगहों से क्रमश: मुख्‍यमंत्री और उपमुख्‍यमंत्री हारे हैं. ऐसे में सपा की जीत में हमारा कोई योगदान नहीं है, खुद बीजेपी अपने कारनामों की वजह से हारी है. हालांकि उन्‍होंने यह भी कहा कि बसपा का महत्‍वपूर्ण सहयोग इस जीत में जरूर रहा. उन्‍होंने कहा कि बीजेपी को तो पकौड़ा पॉलिटिक्‍स ने हराया है. हालां‍कि जब जी मीडिया के संपादक सुधीर चौधरी ने पूछा कि जब 2017 में आप सत्‍ता से बाहर हुए थे तो कई लोगों ने आपके सियासत में हाशिए पर जाने की बात कही थी. समाजवादी पार्टी के अध्‍यक्ष अखिलेश यादव ने ZeeIndiaConclave में कहा कि 'हमारे लिए राजनीति में उतार-चढ़ाव नए नहीं हैं. 2012 से 17 तक हमको काफी काम करने का मौका मिला. 17 में किन्‍हीं कारणों से हम सत्‍ता में नहीं लौट पाए. जिस तरह की राजनीति को बीजेपी ने चुना, उसकी वजह से समाजवादी लोग हारे और हमारी सरकार नहीं बन पाई.'


#ZeeIndiaConclave- देश पर राज करने वाले मुस्लिमों को आरक्षण का हक नहीं: सुब्रमण्‍यम स्‍वामी


दोनों दलों के गठबंधन के सवाल पर अखिलेश ने कहा कि कभी-कभी दूसरों से भी सीखना चाहिए. हमने तो बीजेपी से भी सीखा. बीजेपी ने धर्म के आधार पर सबसे ज्‍यादा राजनीति की है. हम समाजवादी लोग कभी विकास का रास्‍ता भूलने वाले नहीं हैं. अगर बीजेपी एथिक्‍स की बात करे तो बेहद अच्‍छी बात है. अखिलेश यादव ने कहा कि बीजेपी हमें एथिक्‍स न सिखाए. बीजेपी को पकौड़ा राजनीति ने हरा दिया. हमने चाय पर नहीं सच्‍चाई पर बात कर दी, इसलिए हम जीत गए. अब तो मन करता है कि अगर हम कहीं से निकले और पता चल जाए कि सामने खड़ा शख्‍स भाजपाई है तो हम तो तुरंत उसके सामने लाल टोपी पहन लें. अखिलेश ने कहा कि, मैंने मायावती को बुआ की तरह सम्‍मान दिया. हम चाहते हैं कि रिश्‍ते बने रहें. हम उत्‍तरप्रदेश की राजनीति में ज्‍यादा रूचि ले रहे हैं, देश की नहीं. यूपी उपचुनाव की बात करें तो हमारी पार्टी पिछले काफी समय से जमीनी स्‍तर पर काम कर रही थी. जनता ने समाजवादियों की मदद की, क्‍योंकि हमने उन्‍हें मदद की थी.


सीएम योगी आदित्‍यनाथ की कार्यशैली पर जब अखिलेश यादव से सवाल पूछा गया तो उन्‍होंने चुटकी लेते हुए कहा कि योगी जी की रफ्तार बहुत तेज है. यदि इसी तरह से वह चलते रहे तो जल्‍द ही पीएम मोदी को ओवरटेक कर जाएंगे. हम तो चाहते हैं कि वह इसी तरह चलते रहें ताकि हमको भी आशीर्वाद मिलता रहे. हालांकि हारने के बाद से ही सीएम योगी की भाषा बदल गई है. उसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि समाजवादियों ने बीजेपी के झूठ को पकड़ लिया है.


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आंकड़ों का हवाला देते हुए जी मीडिया के संपादक सुधीर चौधरी ने जब पूछा कि यदि 2019 में सपा-बसपा एक साथ आ जाएं तो बीजेपी को 50 सीटों का नुकसान हो सकता है. ऐसे में आप क्‍या तीसरे मोर्चे की संकल्‍पना को देख रहे हैं? क्‍या उसकी अगुआई के लिए तैयार हैं? इस पर अखिलेश ने कहा कि वह इतने ऊंचे सपने नहीं देखते. वह फिलहाल यूपी की सियासत में ही मशरूफ हैं. इससे ज्‍यादा कुछ नहीं सोच रहे हैं.


जब उनसे सवाल पूछा गया कि अब दो उपचुनावों को जीतने के बाद आप ईवीएम पर दोष देना तो बंद कर देंगे तो अखिलेश ने कहा कि जहां तक ईवीएम का सवाल है तो मेरा यह कहना है कि जब ईवीएम में खराबी आती है तो उसको ठीक किया जा सकता है, इसी तरह यदि यह ठीक है तो उसको खराब भी किया जा सकता है.


#ZeeIndiaConclave- गोरखपुर-फूलपुर सीटों पर जीत में हमारा कोई योगदान नहीं: अखिलेश यादव


सुब्रमण्‍यम स्‍वामी vs असदुद्दीन ओवैसी
जी इंडिया कांक्‍लेव के पहले सेशन में जब जी मीडिया के संपादक सुधीर चौधरी ने यूपी उपचुनावों के नतीजों के बारे में बीजेपी नेता सुब्रमण्‍यम स्‍वामी से पहली प्रतिक्रिया मांगी तो उन्‍होंने बड़ा बयान देते हुए कहा कि दरअसल यूपी उपचुनावों में जो प्रत्‍याशी मैदान में थे, वे सीएम योगी की पसंद के नहीं थे. दूसरी बात उन्‍होंने यह कही कि वह यूपी के उपचुनावों के नतीजों को गंभीरता से नहीं लेते. आंध्र प्रदेश में तेलुगु देसम पार्टी के सरकार से अलग होने और संसद में अविश्‍वास प्रस्‍ताव लाने पर बोलते हुए कहा कि उनको ज्‍यादा दलों का समर्थन नहीं मिलेगा. यहां तक कि भले ही शिवसेना ने अगले चुनावों में एनडीए का साथ छोड़ने की बात कही हो लेकिन वह टीडीपी को समर्थन कभी नहीं देगी. इसके साथ ही असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि देश में केवल हिंदू वोट बैंक है, मुस्लिम वोटबैंक नहीं है. धर्म-जाति के नाम पर चुनाव होते रहे हैं. राजनीति में हर समुदाय को तवज्‍जो मिलनी चाहिए. कांग्रेस, बीजेपी ने मुसलमानों का साथ नहीं दिया.


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इसके साथ ही ओवैसी ने मुसलमानों के लिए आरक्षण की वकालत करते हुए कहा कि दलितों पर अब भी अत्‍याचार हो रहे हैं. इसी तरह के अत्‍याचार मुस्लिमों पर हो रहे हैं. लिहाजा मुस्लिमों को भी आरक्षण मिलना चाहिए. इसकी मुखालफत करते हुए स्‍वामी ने कहा कि मुस्लिम समुदाय को आरक्षण की नहीं बल्कि सकारात्‍मक प्रोत्‍साहन की जरूरत है. साथ ही जोड़ा मुस्लिमों ने 800 साल तक देश में राज किया है, ऐसी कौम को कभी आरक्षण नहीं मिलना चाहिए. ओवैसी ने कहा कि संविधान में इसकी व्‍यवस्‍था की गई है, लिहाजा हम इस हक को लड़कर लेंगे.


शनिवार को सियासत के इस सबसे बड़े शो के मुख्य अतिथि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह हैं. इनके अलावा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला, केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी, कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला, नागालैंड के सीएम नेफ्यू रियो, मेघालय के सीएम कोनराड संगमा और त्रिपुरा में बीजेपी के प्रभारी सुनील देवधर शामिल होंगे. Zee India Conclave में सुनील देवधर बताएंगे कि आखिर उन्होंने त्रिपुरा में बीजेपी को स्थापित करने के लिए क्या-क्या कदम उठाए थे. आप सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक और ट्विटर पर #ZeeIndiaConclave के साथ अपनी राय दे सकते हैं, सवाल पूछ सकते हैं और सलाह भी दे सकते हैं.