नई दिल्ली: ZEEL-Invesco विवाद में नया मोड़ आ गया है. इन्वेस्को बैकफुट पर है और ज़ी एंटरटेनमेंट के फाउंडर डॉ. सुभाष चंद्रा फ्रंटफुट पर आ गए हैं. ज़ी टीवी के टेकओवर की साजिश रचने वालों को खुला चैलेंज दिया गया है. अगर वो इस कंपनी (ZEEL) को टेकओवर करना चाहते हैं तो गैरकानूनी तरीके से ये संभव नहीं है. विदेशी निवेशकों को भी देश के कानून का पालन करना होगा. इस मामले में डॉ. सुभाष चंद्रा ने इन विदेशी निवेशकों को कहा- आप शेयहोल्डर हैं मालिक बनने की कोशिश न करें. ज़ी न्यूज के शो DNA में एडिटर इन चीफ सुधीर चौधरी के सवालों का डॉ. चंद्रा ने खुलकर जवाब दिए और देश से अपील की कि देश के अपने चैनल, इकलौते राष्ट्रवादी चैनल को विदेशी कंपनियों के हाथ में न जाने दें. इस दौरान वे देश के चैनल ZEE की यात्रा पर बात करते हुए भावुक भी हुए. 


'इन्वेस्को शेयरहोल्डर हैं, मालिक बनने की कोशिश न करें'


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डॉ. सुभाष चंद्रा ने इन्वेस्को की मंशा पर सवाल खड़े करते हुए खुला चैलेंज दिया कि 'ZEE TV इज नॉट फॉर सेल.' इन्वेस्को सिर्फ शेयरहोल्डर है, चैनल का मालिक बनने की कोशिश न करे. ज़ी टीवी के मालिक 2.5 लाख शेयरहोल्डर हैं. ज़ी टीवी का मालिक हर वो व्यक्ति है, जो टीवी देखता है. देश-विदेश के 150 करोड़ दर्शक इसके मालिक हैं.


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'दर्शकों की हर भावना को हृदय से स्वीकार किया'


ज़ी न्यूज के शो DNA में एडिटर इन चीफ सुधीर चौधरी ने जब ज़ी एंटरटेनमेंट के फाउंडर डॉ. सुभाष चंद्रा से पूछा कि इस देश को आपने इतने बड़े-बड़े फिल्म स्टार दिए. इतने बड़े-बड़े गायक दिए और इतना बड़ा उद्योग आपने खड़ा किया, 1992 में जो आपने सफर शुरू किया और ये शानदार सफर है. एक ही जीवन चक्र में आपने ये पूरा समय देख लिया. आज आप 71 वर्ष के हो चुके हैं और एक और युद्ध की तैयारी में हैं? इस सवाल का जवाब देते हए डॉ सुभाष चंद्रा भावुक हो गए. उन्होंने कहा, ये भावुकता का विषय है. पर मैं ये कहूंगा कि एक चीज क्रिएट हो गई. एक समय था, दस्तूर था, जगह खाली थी बन गया. आज मैं भी चाहूं तो ये (इतना बड़ा ग्रुप) क्रिएट नहीं कर सकता. करोड़ों पोस्टकार्ड ZEE को लिखे जाते थे. उन्होंने कहा, ZEE के नाम का मलब लोगों ने दिया है. लोगों ने अपने खून से चिट्ठियां लिखी हैं ज़ी को. एप्रिशिएट भी किया है. जब हमने कोई गलती की तो लोगों ने जूतों के हार भेजे हैं. मैंने उन्हें हृदय से स्वीकार किया है. उन्होंने बताया, 'मैं कहीं जाता था तो एयरपोर्ट पर लोगों ने मुझे ब्लैक बैजेज दिखाए हैं. इसलिए कि मैं हिंदी भाषा को पूरा शुद्ध रूप से नहीं दिखा पा रहा. मैंने उनको भी नमन होकर स्वीकार.. ये बात फिर कभी, कहीं.'


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