National Milk Day 2022: भारत को अंग्रेजों से आजादी मिली अगस्त 1947 में और देश को इसके लिए बड़ी कीमत चुकानी पड़ी. पहले तो अंग्रजों ने इस सोने की चिड़िया में हर तरह से लूटपाट मचाई और बाद में इसके दो हिस्से करके चले गए. आजाद होने तक देश की आर्थिक हालत बहुत बिगड़ चुकी थी. इसके बाद भारत में दो क्रांतियां हुईं, हरित क्रांति और श्वेत क्रांति, जिनके कारण भारत की आर्थिक स्थिति में बड़े परिवर्तन आए.


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आज हम बात करने जा रहे हैं श्वेत क्रांति की. दरअसल, 26 नवंबर को हर साल भारत में 'नेशनल मिल्क डे'के तौर पर सेलिब्रेट किया जाता है. आइए जानते हैं इस दिन का इतिहास और महत्व....


मिल्क डे का महत्व
आजादी के बाद ग्रामीण भारत का  विकास बहुत जरूरी हो गया था, क्योंकि पिछले हुए देश की आर्थिक हालत को पटरी पर लाने का एक यही सबसे महत्वपूर्ण जरिया था. वर्गीज कुरियन ने दूध उत्पादन को बढ़ाने और डेयरी उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए काफी योगदान दिया, जिसके चलते उन्हें 'मिल्कमैन ऑफ इंडिया' भी कहा जाता है. इस दिन डेयरी उत्पादों और दूध के लाभों को जनता तक पहुंचाने के साथ-साथ दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने के लिए कई तरह के अभियान और कायर्क्रम आयोजित किए जाते हैं. 


श्वेत क्रांति की शुरुआत 
देश में श्वेत क्रांति की शुरुआत 1970 में शुरू हुई थी. इससे डेयरी इंडस्ट्री में अविश्वसनीय परिवर्तन आए और  किसानों को रोजगार मिला. देश में स्वस्थ दुधारू जानवरों की संख्या बढ़ गई. दुग्ध उत्पादन के लिए मॉडर्न टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल शुरू हुआ. इस क्रांति का उद्देश्य भारत को दुनिया में सबसे ज्यादा दूध उत्पादन करने वाले देशों की श्रेणी में लाना था. इसी क्रांति ने एक समय तक दूध की कमी से जूझने वाले भारत को दुनिया में दुग्ध उत्पादन में अग्रणी बनाया.


31 अक्टूबर 1946 को लाल बहादुर शास्त्री ने कंजरी में अमूल की कैटेल फीड फैक्ट्री का उद्घाटन किया. उन्होंने गांव में किसानों के साथ एक रात बिताई और कुरियन के साथ देश के विभिन्न हिस्सों में बसे किसानों के आर्थिक तरक्की और दिक्कतों पर विचार-विमर्श किया. इसके समाधान के परिणाम स्वरूप ही नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड गठित किया गया. 


श्वेत क्रांति का इतिहास 
श्वेत क्रान्ति को 'ऑपरेशन फ्लड' के नाम से भी जाना जाता हैं. इसे 1970 में लांच किया गया था. इसकी शुरुआत भारत के नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड ने की थी, जो कि उस समय में  दुनिया का सबसे बड़ा डेयरी  प्रोग्राम साबित हुआ. डॉक्टर वर्गीज कुरियन द्वारा एक एजेंसी 'इंडियन डेयरी कॉर्पोरेशन' बनाई गई, जिससे ऑपरेशन फ्लड को ग्रांट मिल सके.


इस तरह से मिल्क प्रोडक्शन योजना की शुरुआत में 22,000 टन था वो 1989 तक मिल्क पाउडर प्रोडक्शन 1,40,000 टन तक पहुंच गया. अमूल ने जब मार्केट में बहुत से प्रतिद्वंदी विदेशी कंपनियां थीं. अमूल ने इन सबको सबको कड़ी टक्कर दी और जल्द ही देश की सबसे पसंदीदा डेयरी कंपनी बन गई.