दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण का लेवल खतरनाक सीमा तक बढ़ गया है, जिससे लोगों की सेहत पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है. प्रदूषण से बचने के लिए मास्क का उपयोग बढ़ा है, लेकिन मास्क के लंबे समय तक उपयोग से स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं. इस पर नोएडा सीएचसी भंगेल की सीनियर मेडिकल ऑफिसर और गाइनेकोलॉजिस्ट डॉ. मीरा पाठक ने महत्वपूर्ण जानकारी शेयर की है.


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डॉ. मीरा पाठक ने बताया कि प्रदूषण से बचाव के लिए सही मास्क का चयन करना बेहद महत्वपूर्ण है. एन95, एन99 और केएन99 मास्क, जो फिल्टर के साथ आते हैं, सबसे प्रभावी होते हैं. वहीं, सर्जिकल मास्क या रुमाल प्रदूषण से बचाव में असफल साबित होते हैं, क्योंकि ये पीएम 2.5 जैसे माइक्रो पोल्यूटेंट पार्टिकल को रोकने में सक्षम नहीं होते.


लंबे समय तक मास्क पहनने से होने वाली समस्याएं
डॉ. पाठक के अनुसार, मास्क का लंबे समय तक उपयोग करने से सांस लेने में परेशानी हो सकती है, खासकर उन लोगों को जो दिल या सांस संबंधी बीमारियों से पीड़ित हैं. ज्यादा टाइट मास्क घुटन और एंजाइटी का कारण बन सकता है, जबकि ढीला मास्क प्रदूषण से बचाव में प्रभावी नहीं होता.


त्वचा संबंधी समस्याएं
मास्क का लगातार उपयोग चेहरे पर प्रेशर मार्क्स, कानों में इरिटेशन और पसीने के कारण 'मास्कने' (मास्क के कारण रैशेज) जैसी समस्याएं उत्पन्न कर सकता है. मास्क को समय पर न बदलने पर यह संक्रमण का सोर्स भी बन सकता है.


प्रदूषण के खतरनाक प्रभाव
डॉ. पाठक ने बताया कि पीएम 2.5 जैसे माइक्रोपार्टिकल, जो बाल से 30 गुना छोटे होते हैं, सीधे फेफड़ों और ब्लड फ्लो में समा सकते हैं. ये प्रदूषक न केवल सांस संबंधी समस्याओं का कारण बनते हैं, बल्कि कैंसर जैसी घातक बीमारियों की संभावना भी बढ़ा सकते हैं.


समय पर मास्क बदलना है जरूरी
उन्होंने सलाह दी कि मास्क को 20-40 घंटे के भीतर बदलना चाहिए. साथ ही, एंटी-पॉल्यूशन मास्क का उपयोग करते समय त्वचा और मेंटल हेल्थ का भी ध्यान रखना चाहिए.


Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.