मेनोपॉज महिलाओं के स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, लेकिन हाल ही में हुए एक शोध ने यह संकेत दिया है कि देरी से मेनोपॉज अस्थमा के खतरे को बढ़ा सकता है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

वैश्विक स्तर पर, अस्थमा एक सामान्य और क्रोनिक बीमारी है, जो लगभग 300 मिलियन लोगों को प्रभावित करती है. शोधकर्ताओं का कहना है कि वयस्क होने पर अस्थमा महिलाओं में अधिक सामान्य है, जबकि बचपन में यह समस्या लड़कों में ज्यादा देखने को मिलती है.


क्या है स्टडी

मेनोपॉज सोसायटी की पत्रिका "मेनोपॉज" में प्रकाशित इस अध्ययन में नेचुरल और सिंथेटिक एस्ट्रोजन की भूमिका के बारे में बताया गया है. शोधकर्ताओं ने पाया कि समय से पहले मेनोपॉज, जो 40 से 44 वर्ष की आयु में होती है, वाली महिलाओं में अस्थमा का जोखिम कम होता है. इस अध्ययन में यह भी स्पष्ट किया गया कि जिन महिलाओं ने हार्मोन थेरेपी का उपयोग किया, उनमें अस्थमा का जोखिम 63 प्रतिशत तक बढ़ गया.

इसे भी पढ़ें- पीरियड्स पर फुल स्टॉप लगने से पहले दिखते हैं ये 7 लक्षण, लेट शादी करने वाली महिलाएं न करें इग्नोर, फैमिली प्लानिंग हो जाएगी मुश्किल


 


हार्मोनल प्रभाव

अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि एस्ट्रोजन हार्मोन अस्थमा के जोखिम को प्रभावित करता है. जिन महिलाओं ने हार्मोन थेरेपी बंद की, उनके लिए अस्थमा का इलाज छोड़ने की संभावना दो गुना अधिक थी. 


एक्सपर्ट की सलाह

मेनोपॉज सोसाइटी की चिकित्सा निदेशक डॉ. स्टेफनी फौबियन की सलाह है कि चिकित्सकों को इस संबंध के प्रति सतर्क रहना चाहिए और देरी से मेनोपॉज आने वाली महिलाओं में अस्थमा के लक्षणों की निगरानी करनी चाहिए. उन्होंने कहा, "यह अध्ययन दिखाता है कि मेनोपॉज देरी से आने वाली महिलाओं में अस्थमा का अधिक जोखिम होता है."


बॉडी मास इंडेक्स का प्रभाव

अध्ययन में यह भी उल्लेख किया गया है कि हाई बॉडी मास इंडेक्स (BMI) महिलाओं के लिए एक जोखिम कारक होता है, जबकि पुरुषों में ऐसा नहीं होता. वसा शरीर में एस्ट्रोजन का उत्पादन करती है, जिससे महिलाएं अस्थमा के प्रति अधिक संवेदनशील बन जाती हैं.

इसे भी पढ़ें- World Asthma Day: बड़ों से ज्यादा बच्चे अस्थमा के मरीज, पेरेंट्स Asthma के इन शुरुआती संकेतों पर रखें बारीकी नजर; डॉ की सलाह