नई दिल्ली: Nonalcoholic fatty liver disease के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इसकी बड़ी वजह लाइफस्टाइल से जुड़ी आदतें हैं. आपकी रोजाना की कुछ आदतें लिवर फंक्शन पर असर डालती हैं, जिससे फैटी लिवर डिजीज और दूसरी कई समस्याएं हो सकती हैं. आयुर्वेद के अनुसार, कुछ बातों का ख्याल रखकर आप इस बीमारी को प्राकृतिक तरीके से रिवर्स कर सकते हैं और लिवर को नुकसान पहुंचने से रोक सकते हैं.


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Fatty liver disease की स्थिति में लिवर में एक्स्ट्रा फैट जमा हो जाता है. अल्कोहल का सेवन करने वाले लोगों में ये समस्या आमतौर पर देखी जाती है. 


वहीं Nonalcoholic fatty liver disease की स्थिति कई कारणों से पैदा होती है. शरीर में हाई कोलेस्ट्रॉल, ओबेसिटी, हाई ब्लड शुगर, शरीर में हाई Triglycerides लेवल, मेटाबॉलिक सिंड्रोम और polycystic ovary syndrome की वजह से फैटी लिवर की समस्या हो सकती है.


इन चीजों से करें परहेज


नॉन वेज फूड, ग्लूटेन युक्त चीजें और डेयरी प्रोडक्ट्स का डाइजेशन मुश्किल होता है, इसलिए इन चीजों का कम खाएं या बिल्कुल न खाएं. अगर आपको लिवर से जुड़ी कोई बीमारी है तो नॉन वेज, ग्लूटेन और डेयरी प्रोडक्ट्स खाना बिल्कुल छोड़ दें. कच्ची चीजें भी न खाएं. डीप फ्राइड, फर्मेंटेड फूड जैसे उड़द दाल या काले चने, प्रोसेस्ड चीजें जैसे मैदा और पैकेज्ड शुगर फूड न खाएं. ऐसी चीजें खाएं जो आसानी से डाइजेस्ट हो सकें.


अल्कोहल और कैफीन का सेवन न करें


अल्कोहल और कैफीन का सेवन लिवर को नुकसान पहुंचाता है. अल्कोहल, चाय और कॉफी जैसी चीजों से पूरी तरह परहेज करें. अगर आपको लिवर से जुड़ी समस्या है तो इससे पेट में इंफ्लामेशन बढ़ सकता है. ​​हर्बल टी जैसे लेमनग्रास, जीरा, सौंफ, अदरक और धनिया पत्ती जैसी चीजों से बनी चाय पीएं.


हाइड्रेशन है जरूरी 


पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं. इससे मेटाबॉलिज्म इम्प्रूव होगा और लिवर फंक्शन बेहतर होगा. हमेशा हाइड्रेटेड रहें.


सही समय पर खाना खाएं


हमेशा एक निश्चित समय पर ही खाएं और बार बार खाने से बचें. इससे फैटी लिवर की समस्या हो सकती है. जब आपको भूख न लगी हो, तब भी किसी समय खा लेना, भूख लगने पर खाली पेट रहना और हर दो घंटे पर खाने जैसी बातें लिवर को नुकसान पहुंचाती हैं.


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​स्लीप शेड्यूल फिक्स करें


एक सही स्लीप शेड्यूल ​फिक्स करना बेहद जरूरी है. अगर आप रोजाना सही समय पर यानी रात के 10 बजे तक सोते हैं और इसमें बदलाव नहीं करते तो इससे आपका मेटाबॉल्ज्मि इम्प्रूव होगा और हार्मोनल बैलेंस बनेगा. इससे वजन को घटाने या बढ़ाने में मदद मिलेगी और ये स्ट्रेस को भी कम करेगा. ये कॉर्टिसोल को कम करता है और भूख को संतुष्ट करने वाले हार्मोन ghrelin-leptin के स्त्राव को बैलेंस करता है. ये लिवर हेल्थ के लिए जरूरी है.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)