Periods: कई बार ऐसा देखने को मिलता है कि पीरियड्स के दौरान ज्यादा मात्रा में ब्लीडिंग होने लगता है. अगर एक दो बार हो तो महिलाएं इसे इग्नोर कर देती हैं लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए. क्योंकि अगर आप ऐसा करते हैं तो कहीं न कहीं उनके लिए आगे चलकर खतरनाक हो सकता है. तो आईए हम जानते हैं कि आखिर क्यों होता है पीरियड्स में ज्यादा ब्लीडिंग.


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फिजिकल एक्टिविटी


क्षमता से अधिक फिजिकल एक्टिविटी करने से यूटर्स पर नकारात्मक प्रभाव होता है. इस कारण यूटरिन लाइनिंग इरिटेट हो जाती है. जब ऐसा होता है तो इससे एंडोमेट्रियल या सर्वाइकल पॉलीप्स प्रभावित होते है. जिसके बाद हैवी ब्लीडिंग की समस्या शुरु हो जाती है.


इंफेक्शन


पीरियड के दौरान इंफेक्शन होना आम बात है. जिस कारण हैवी ब्लीडिंग की समस्या आ जाती है. दरअसल, अनसेफ तरीके से सेक्स, मल्टीपल पार्टनर भी इसमें अहम रोल अदा करता है. इंफेक्शन के कारण वेजाइना के नजदीक सूजन, इचिंग और रेडनेस भी देखने को मिलता है. 


हार्मोनल असंतुलन


हार्मोनल असंतुलन के कारण भी ज्यादा ब्लीडिंग की समस्या देखने को मिलती है. क्योंकि हार्मोनल असंतुलन बढ़ने से एंडोमेट्रियम यानी कि मुलायम परत की थिकनेस बढ़ जाती है. जिस कारण ज्यादा ब्लीडिंग का सामना करना पड़ता है. जिन महिलाओं में थायरॉयड की समस्या है उन्हें ज्यादा ब्लीडिंग का खतरा बना रहता है.


कई बार ऐसा होता है कि ओवरीज पीरीयड्स के दौरान एग रिलीज नहीं करता है. जिसे कि एनोव्यूलेशन कहा जाता है. इस कारण पीरियड के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग होता है. इसके अलावा ओवेरियन सिस्ट के कारण भी ब्लीडिंग की समस्या बढ़ जाती है.


फाइब्रॉएड का बढ़ना


जब भी किसी का फाइब्रॉएड बढ़ता है चाहे वो गर्भाशय के अंदर हो या बाहर दोनों स्थिति में असामान्य ब्लीडिंग का सामना करना पड़ता है. दरअसल, जब भी फाइब्रॉएड बढ़ता है तो इससे ब्लड वेसल्स की ग्रोथ बढ़ जाती है ऐसे में ज्यादा ब्लीडिंग देखने को मिलता है.


(Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.)