स्कूल में हिंसा और बुलिंग का शिकार न बन जाएं आपके बच्चे, ऐसे रखें उनकी मेंटल हेल्थ का ख्याल
आजकल आए दिन ये खराब काफी ज्यादा सुनने को मिलती है कि स्कूल में छात्रों ने एक दूसरे के साथ में काफी ज्यादा पीट-पीट कर जख्मी कर देते हैं या तो मार डालते हैं. इन मामलों के आकंडे भी काफी ज्यादा आए दिन बढ़ते जा रहे हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक 11 जनवरी को एक केस सामने आया, जिसमें स्कूल के झगड़े में 12 साल के एक लड़के की मौत भी हो गई.
बदमाशी
स्कूल बच्चों को उनके माता-पिता पढ़ाई के लिए भेजते हैं, लेकिन आए दिन मार-पिट के मामले सामने आते ही रहते हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक एक बच्चे ने अपने सीनियर की बदमाशी से बचने के लिए उसकी चाकू मारकर हत्या कर दी थी और उसके बाद दो दिन पहले ही एक 12 साल के लड़के ने अपने सीनियर की पीट-पीटकर उसकी मौत कर दी थी ऐसे औऱ भी कई सारे मामले सामने आ रहे हैं, जिसमें ऐसे गंभीर मामले देखने को मिल रहे हैं.
मेंटल हेल्थ
टीओआई ने इस स्थिती को अच्छे से समझने के लिए मानसिक स्वास्थ्य और बाल कल्याण विशेषज्ञों से बात की ऐसे पीछे आखिर क्या कारण हो सकते हैं. उन्होने बताया कि ये मामला सरकारी स्कूलों से लिया गया है. बदमाशी एक तरफ से बेहद ही खतरनाक रूप ले लेती है. इससे उनके आस-पास के लोग ही नहीं बल्कि देखने वाले लोग भी डर कर सहम जाते हैं. आजकल बच्चें फोन के जरिए भी ये सभी चीजें सीखते हैं. मनोचिकित्सक और इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड अलाइड साइंसेज के पूर्व निदेशक निमिष देसाई ने कहा कि सोशल मीडिया से बच्चें बहुत ज्यादा प्रभावित होते हैं, इससे उनके मेंटल हेल्थ पर काफी ज्यादा असर पड़ता है.
सोशल मीडिया
बच्चों जो भी सोशल मीडिया पर देखते हैं वहीं सब कुछ सीखते हैं. इससे उनकी मेंटल हेल्थ पर काफी ज्यादा बुरा असर पड़ता है. ऐसे में बच्चों के परिवार वालों को ये समझने की काफी जरूरत है कि हमारा बच्चा आखिर किस वजह से ऐसा कर रहा है.
महौल का अच्छा होना
बच्चें के महौल का अच्छा होना काफी जरूरी होता है. दिल्ली में कई निजी स्कूलों में काम करने वाली सलाहकार - सहायक डॉ. अनुप्रेक्षा जैन ने कहा कि इसमें शिक्षकों का सहयोग होना काफी जरूरी होता है. बदमाशी के शुरुआती लक्षणों का पता लगाने के लिए बच्चों के व्यवहार पर नजर रखनी जरूरी होती है.
हिंसा और बुलिंग का शिकार
इन कुछ लक्षणों से आप पता कर सकते हैं कि आपका बच्चा कहीं हिंसा और बुलिंग का शिकार तो नहीं. जैसे. बच्चें का दुसरों से कटा-कटा रहना, अकेला रहना, स्कूल न जाना, परेशानी और चिंता में रहना, खाना न खाना. आपको अपने बच्चों की इस स्थिती को अच्छे से समझना और इसके बारे में उनसे बात करनी चाहिए. अगर आपके बच्चें के साथ ऐसा हो रहा है, तो उनको आपको मजबूत बनाना होगा. ऐसे में आपको स्कूल को तुरंत सूचित करना चाहिए औऱ समाधान करना चाहिए.