माइग्रेन से जूझने वालों के लिए राहत की खबर! एक नए अध्ययन ने माइग्रेन के दो प्रमुख संकेतों का पता लगाया है, जो अगले दिन होने वाले हमले की चेतावनी देते हैं. न्यूरोलॉजी जर्नल में बुधवार को प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार, पिछले दिन की नींद की क्वालिटी और एनर्जी का लेवल माइग्रेन के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता डॉ. कथलीन मेरिकंगास ने सीएनएन को बताया कि इस अध्ययन का मुख्य निष्कर्ष यह था कि पिछले दिन की नींद की क्वालिटी और एनर्जी में बदलाव अगले दिन होने वाले सिरदर्द से संबंधित थे. माइग्रेन को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए, क्योंकि यह केवल असुविधा से कहीं अधिक है. 50 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों में, क्रोनिक माइग्रेन विकलांगता का प्राथमिक कारण बनता है.


477 लोगों पर हुआ अध्ययन
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ के इंट्राम्यूरल रिसर्च प्रोग्राम में जेनेटिक एपिडेमियोलॉजी रिसर्च ब्रांच का नेतृत्व करने वाली मेरिकंगास और उनकी टीम ने अध्ययन में उल्लिखित अनुसार, दो सप्ताह से अधिक समय तक 477 व्यक्तियों के व्यवहार और लक्षणों की निगरानी के लिए इलेक्ट्रॉनिक डायरी का इस्तेमाल किया. शोध दल ने पाया कि नींद की क्वालिटी और एनर्जी का लेवल अगले दिन माइग्रेन के हमले की भविष्यवाणी करने के लिए महत्वपूर्ण संकेतक थे.


कनेक्टिकट में न्यू इंग्लैंड इंस्टिट्यूट फॉर न्यूरोलॉजी एंड हेडेक के उपाध्यक्ष डॉ. स्टीवर्ट टेपर ने कहा कि यह एक बहुत ही रोमांचक अध्ययन है क्योंकि यह कितना अच्छा किया गया है, कितना विस्तृत है और कितना बड़ा है. उन्होंने कहा कि माइग्रेन के आने का समय जानना ही सब कुछ बदल सकता है.


मेरिकंगास ने कहा कि अगर हम पर्यावरण में ऐसी चीजों की पहचान कर सकते हैं जिन्हें लोग बदल सकते हैं, तो हम पहले ही हमले को रोकने में सक्षम होना चाहते हैं. अगर हम व्यवहार संबंधी हस्तक्षेपों के साथ ऐसा कर सकते हैं ... तो वे इसे या तो सोकर रोकने में सक्षम हो सकते हैं या किसी अन्य हस्तक्षेप से जो हमें हमले को रोकने के लिए दवा का उपयोग करने से बचाएगा.


हालांकि, डॉ. टेपर ने कहा कि उन्हें यकीन नहीं है कि क्या व्यवहार में बदलाव हमेशा माइग्रेन के हमले को रोक सकते हैं. टेपर सिरदर्द की शुरुआत से पहले ही दवा लेने की सलाह देते हैं, जिसका उद्देश्य किसी भी तरह के दर्द को रोकना है. तो, माइग्रेन से जूझने वालों के लिए यह शोध एक नई उम्मीद लेकर आया है. अगली बार जब आपको नींद ठीक न आए या थकान महसूस हो, तो सावधान हो जाएं, क्योंकि यह अगले दिन होने वाले माइग्रेन के संकेत हो सकते हैं. अपने डॉक्टर से सलाह लें और पता करें कि आप किस तरह से अपने आने वाले हमले को रोक सकते हैं.