ADHD Coaching And Disorder: एडीएचडी कोचिंग इस हफ्ते सुर्खियों में रही है, जिसमें अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टीविटी डिस्आर्डर (Attention deficit hyperactivity disorder) के इलाज और प्रबंधन के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए गए है. आइए जानते हैं कि एडीएचडी कोचिंग क्या है? क्या आपको सचमुच इसकी जरूरत है? और आप ये कोचिंग सहायता कैसे पा सकते हैं.


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ADHD क्या है?


एडीएचडी एक न्यूरोडेवलपमेंटल (Neurodevelopmental) डिसऑर्डर है. इसमें किसी भी काम में ध्यान लगाने में कठिनाई होती है, यानी कि ये बीमारी दिमाग से संबंधित है. आजकल युवाओं में इसके मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है. ये बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है. महिलाओं और पुरुषों के अलावा छोटे बच्चों को भी ये बीमारी अपनी चपेट में ले लेती है. अगर ये डिसऑर्डर बचपन में हो जाए तो इसका इलाज सही वक्त पर करवा लेना चाहिए वरना इसकी वजह से बड़ी दिक्कतें हो सकती हैं. 


क्या हैं ADHD के लक्षण


- एडीएचडी होने पर किसी भी काम में कोन्सनट्रेशन नहीं हो पाता है. 
- छोटे बच्चे पढ़ाई पर फोकस नहीं कर पाते हैं. 
- बैचेनी होती है, एक जगह पर रहने में घबराहट होती है.


ADHD कोचिंग का उद्येश्य


एडीएचडी कोचिंग का उद्देश्य इस डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों की मदद करना है. बेसिकली ऐसी कोचिंग का लक्ष्य यही है कि एडीएचडी से पीड़ित लोगों को बिना किसी डॉक्टर की सहायता के बीमारी का इलाज किया जा सके. एडीएचडी कोचिंग में मनोवैज्ञानिक तरीके (Psychology) से डिसऑर्डर का इलाज किया जाता है. इस कोचिंग में टॉक थेरेपी के जरिए बीमारी का इलाज करने की कोशिश की जा रही है. 


कैसे ले सकते हैं सुविधा


एडीएचडी के लिए कई एनजीओ काम करते हैं. लेकिन ज्यादातर जगहों पर इसका फायदा लेने के लिए खुद ही खर्च उठाना होता है. इसमें आपकी बीमारी को साइकोलॉजी के जरिए ठीक करने का प्रयास किया जाता है. खास बात ये है कि इस बीमारी का इलाज करने वाला कोई प्रोफेशनल डॉक्टर नहीं होता है. इस कोच की फीस आपको देनी होगी. राष्ट्रीय विकलांगता बीमा योजना (NDIS) के तहत ADHD की फ्री कोचिंग सहायता मिल सकती है. लेकिन एडीएचडी वाले कुछ ही लोग एनडीआईएस से ऐसी कोचिंग फीस के लिए पैसा ले सकते हैं. 


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