World Kidney Day 2023: आपने डॉक्टर्स को और बड़े बुजुर्गों को नसीहत देते सुना होगा कि खूब पानी पिया करो. ये बात कुछ हद तक ही सही है. बहुत कम लोग जानते हैं कि पानी जरूरत से ज्यादा पी लिया जाए तो किडनी का हाल बुरा हो सकता है. आज World Kidney day है और आज हम आपको उन गलतियों के बारे में बताएंगे जिसकी वजह से भारत में किडनी के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. ज्यादा पानी पीना असल में एक बीमारी है, इसे हाइपोनेट्रिमिया कहा जाता है.


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यूरिन रोकने वाले रहें सावधान


अगर आप जरूरत से ज्यादा पानी पी रहे हैं तो आपकी किडनी बेकार हो सकती है. शरीर से सारे वेस्ट प्रोडक्ट को निकालने का काम किडनी का है. जितना पानी शरीर खपा लेता है, उसके बाद किडनी यूरिन के रूप में पानी और गंदे पदार्थ बाहर निकालने का काम करती है. जरुरत से ज्यादा पानी से किडनी पर काम का बोझ बढ़ जाता है. इसी तरह जो लोग देर तक यूरिन को रोककर रखते हैं, वो भी किडनी पर बोझ डालते हैं. ये दोनों आदतें भारत में किडनी के मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी करने में अहम योगदान दे रही हैं.


क्या कहते हैं आंकड़ें


इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के मुताबिक दुनियाभर में हर साल 17 लाख लोगों की जान किडनी की बीमारी की वजह से जा रही है. करीब 2 करोड़ लोग किडनी की किसी न किसी बीमारी के शिकार हैं, वहीं भारत में तकरीबन 80 लाख लोग किडनी के मरीज हो चुके हैं और सबसे खराब बात मरीजों को बीमारी का पता तब चलता है जब 60 से 70 प्रतिशत किडनी फंक्शन नहीं हो रहा होता है. भारत में होने वाले कुल ट्रांसप्लांट आपरेशन में सबसे ज्यादा नंबर किडनी ट्रांसप्लांट का है. आपको बता दें कि पिछले 10 सालों में तस्वीर कुछ इस तरह बदली है कि सबसे ज्यादा किडनी ट्रांसप्लांट हो रहे हैं. साल 2022 में जीवित व्यक्ति से किडनी लेकर 9834 ट्रांसप्लांट किए गए. वहीं साल 2013 में ये संख्या 3495 थी. साल 2022 में मृत व्यक्ति के डोनेशन से 1589 किडनी ट्रांसप्लांट हुए जबकि 2013 में केवल इसकी संख्या केवल 542 थी.


इन दिक्कतों को न करें इग्नोर


नेफ्रोल़ॉजिस्ट डॉ सुनील प्रकाश के मुताबिक अगर समय पर इलाज हो जाए तो ट्रांसप्लांट के बाद जीवन सामान्य हो सकता है। हालांकि उनकी सलाह है कि पहले किडनी की बीमारी के संकेत पहचानने होंगे. किडनी की दिक्कत में शरीर बिना वजह थक जाता है. लगातार जी खराब रहता है और उल्टियां आती हैं. एक अजीब सी एंग्जाइटी रहती है. पेशाब भी सामान्य की अपेक्षा कम आता है. पैरों और टांगो में सूजन होने लगती है. वजन कम होने के साथ भूख लापता हो जाती है. इसमें मरीज ठीक से सांस नहीं ले पाते हैं. इन दिक्कतों से परेशान लोगों में हो सकता है, उनकी किडनी जवाब दे रही हो.


पानी की अहमियत


क्या आप जानते हैं कि दुनिया भर में मौजूद सारे पानी को अगर 4 लीटर के जग के जितना मान लिया जाए तो पीने योग्य पानी एक चम्मच जितना होगा. यानी धरती पर इतना कम पानी ही पीने लायक है. हमारा शरीर 70 प्रतिशत पानी से बना है. हमारे मस्तिष्क का 75 प्रतिशत हिस्सा पानी है. फेफड़ों का 90 प्रतिशत हिस्सा पानी है और हमारे शरीर में मौजूद रक्त का 82 प्रतिशत हिस्सा पानी है.


कितना पानी पिएं


एक औसत नियम के हिसाब से वयस्क व्यक्ति को 8 से 10 ग्लास पानी रोजाना पीना चाहिए. मोटे तौर पर दो लीटर लेकिन ज्यादा देर धूप में रहने वाले, शारीरिक कसरत करने वाले और खिलाड़ी जिनकी कसरत ज्यादा है उन्हें ज्यादा पानी की जरूरत होती है. कम पानी पीने से किडनी स्टोन्स, कब्ज और डीहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है. हालांकि ज्यादा पानी पीने से भी लोगों को कई बीमारियां हो सकती हैं. इसलिए अब डॉक्टर यही सलाह देते हैं कि अपनी प्यास के मुताबिक पानी पिएं. यही सबसे सही पैमाना है. खाना खाने के बाद पानी न पीने का फॉर्मूला आयुर्वेद के सिद्दांतों पर आधारित है. एलौपेथी के डॉक्टर इस नियम को लेकर एकमत नहीं है. उनके मुताबिक इंसान स्वयं अपनी जरुरत पहचान कर ये नियम बना सकता है. कम और ज्यादा के बीच संतुलन बनाना आपको सीखना होगा.


इन बातों का भी रखें खास ख्याल


हालांकि ज्यादा पानी पीना केवल एक कारण है जो आपको किडनी का मरीज बना सकता है, जिन लोगों को डायबिटीज और हाईबीपी है उनकी किडनी खराब होने का खतरा सबसे ज्यादा है. इसके अलावा मोटापा और शराब का सेवन किडनी की बीमारी को दावत देता है. किडनी की सेहत को ठीक रखने के लिए बीपी को काबू में रखें, मोटापे से दूर रहें, शराब और तंबाकू को ना कहें, रोजाना कसरत करें, पानी न ज्यादा पिएं और न कम, रोजाना कसरत करें और पेशाब को देर तक ना रोकें. इसके साथ ही पेनकिलर्स लेने से बचें क्योंकि किडनी के खराब होने में इन दवाओं का बड़ा योगदान रहता है.


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