TB Disease: भारत में वर्षों से क्यों बनी है टीबी की गंभीर समस्या? जानें कैसे करना है खुद का बचाव
भारत में टीबी यानी क्षय रोग नियंत्रित करने के लिए पिछले लगभग 60 वर्षों से प्रयास किए जा रहे हैं, फिर भी यह एक गंभीर समस्या बनी हुई है. रॉबर्ट कॉक ने 24 मार्च, 1882 को टीबी के जीवाणु की खोज की थी, जो इस बीमारी को समझने और इलाज में मील का पत्थर साबित हुई.
TB Symptoms: भारत में टीबी यानी क्षय रोग नियंत्रित करने के लिए पिछले लगभग 60 वर्षों से प्रयास किए जा रहे हैं, फिर भी यह एक गंभीर समस्या बनी हुई है. रॉबर्ट कॉक ने 24 मार्च, 1882 को टीबी के जीवाणु की खोज की थी, जो इस बीमारी को समझने और इलाज में मील का पत्थर साबित हुई. इसलिए टीबी को 'कॉक की बीमारी' भी कहा जाता है. विश्व में प्रतिवर्ष लगभग एक करोड़ लोग इस रोग से ग्रसित होते हैं, जिसमें से 29 लाख भारत के हैं. फेफड़े की टीबी को पल्मोनरी टीबी और शरीर के अन्य हिस्से की टीबी को एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी कहा जाता है. भारत के मरीजों में करीब 80 प्रतिशत पल्मोनरी टीबी से संबंधित होते हैं.
टीबी की बीमारी के खिलाफ अभियान
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 13 मार्च, 2018 को 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने की घोषणा की थी. इसके बाद से ही निःक्षय पोषण योजना, टीबी नोटिफिकेशन का विस्तार, सक्रिय टीबी खोज अभियान आदि योजनाओं की शुरुआत हुई. साथ ही टीबी रोगियों की निश्शुल्क जांच, उपचार तथा 500 रुपये प्रतिमाह पोषण भत्ता जैसी सुविधाएं भी आरंभ हुईं. निजी चिकित्सकों को भी टीबी उन्मूलन के राष्ट्रीय कार्यक्रम में भागीदार बनाना शुरू किया गया. 2020 में राष्ट्रीय कार्यक्रम का नाम 'राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम' कर दिया गया.
किस तरह की आ रही हैं दिक्कतें-
टीबी को पूरी तरह समाप्त नहीं कर पाने के कई कारण हैं, जैसे टीबी का जीवाणु कई वर्ष तक शरीर में निष्क्रिय अवस्था में बिना किसी लक्षण के रह सकता है. अनुकूल परिस्थिति आने पर पुनः सक्रिय होकर वह बीमारी पैदा करता है. सामाजिक और मानवीय कारण भी अवरोधक हैं, जैसे-कुपोषण, एचआइवी, मधुमेह, महिलाओं में कम उम्र में और बार-बार गर्भधारण, पर्दा प्रथा, धूमपान तथा अन्य नशा, साफ-सफाई की कमी, स्वास्थ्य सेवाओं के लाभ से वंचित रहना आदि.
किस तरह उपचार में रखें ध्यान
चिकित्सकों से इलाज कराएं. इलाज के दौरान रोगी का नियमित विश्लेषण और देखरेख आवश्यक है. टीबी के रोगी शुरुआती उपचार में फायदा दिखने के बाद अक्सर दवाएं बंद कर देते हैं या अनियमित कर देते हैं. इससे टीबी का जटिल स्वरूप एमडीआर टीबी/एक्सडीआर टीबी हो जाता है, जिसका उपचार कठिन होता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)हिंदी ख़बरों के लिए भारत की पहली पसंद ZeeHindi.com - सबसे पहले, सबसे आगे.