Taal Thok Ke: घट-घट में राम, फिर क्यों संग्राम?
Tue, 16 Jan 2024-7:28 pm,
Taal Thok Ke: सिर्फ़ सात दिन, बल्कि साढ़े छह दिन ही बचे हैं भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने में, देश में राम भक्ति का प्रतिशत बढ़ता जा रहा है. अयोध्या में आज से रामलला प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान भी शुरू हो गये हैं. प्रधानमंत्री मोदी के प्रतिनिधि के तौर पर जो यजमान हैं, उनके सरयू में स्नान करने प्रायश्चित और कर्मकुटी पूजन करने के साथ ही प्राण प्रतिष्ठा की प्रक्रिया विधिवत शुरू हो गई है. अयोध्या को भव्य और दिव्य बनाने की तैयारियां और तेज़ हो गई हैं. इस बीच अपने दक्षिण दौरे में प्रधानमंत्री मोदी आज फिर एक मंदिर पहुंचे. प्रधानमंत्री ने आंध्र प्रदेश के वीरभद्र मंदिर पहुंचकर वहां पर पूजा अर्चना की, इसके बाद मंदिर में बैठकर 'श्री राम जय राम' का भजन भी गाया. भजन तो आज दिल्ली में भी शुरू हो गये. सीएम अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी ने आज से दिल्ली में सुंदरकांड शुरू कर दिया. आम आदमी पार्टी महीने के हर पहले मंगलवार को ये सुंदरकांड करेगी. कोशिश करेगी कि राम मंदिर विरोध से जो डैमेज हुआ है, उसे हनुमान भक्ति से कवर करे. बीजेपी ने कहा कि इस ढोंग से कुछ नहीं होने वाला है. ओवैसी ने फिर कहा कि केजरीवाल तो बीजेपी का छोटा रिचार्ज हैं. वहीं ओवैसी को आज ये भी दर्द उठा कि सब लोग भक्ति में क्यों डूब रहे हैं? अब आपको राहुल गांधी का दर्द भी बताते हैं. राम मंदिर के उद्घाटन में न जाने पर आज राहुल गांधी भी बोले. उन्होंने कहा कि 22 जनवरी का कार्यक्रम अगर मोदी और RSS का कार्यक्रम ना होता, तो वो एक बार जाने के बारे में सोचते भी. साथ ही राहुल ने ये भी कहा कि उनका राजनीति में धर्म के नाम पर ढोंग में विश्वास नहीं है. राम मंदिर पर विरोध की सियासत में अभी और खुरपेंच बाक़ी हैं. नया एंगल ये लाया गया है कि रामलला का गर्भगृह वहां क्यों नहीं है जहां बाबरी का मुख्य ढांचा था? ये नया एंगल कल उद्धव की शिवसेना के संजय राउत लाए थे. अब दिग्विजय ने कहा है कि हां, बात में तो दम है, तो फिर बाबरी ढांचा तोड़ा ही क्यों था? कांग्रेस विरोध पर डटे रहने के साथ सफ़ाई भी दे रही है कि वो कभी राम मंदिर के विरोध में नहीं थी उधर ओवैसी ने शायद मुसलमानों को डराने की ठान रखी है कि जैसे तुम्हारी बाबरी छीनी गई, वैसे ही एक दिन सारी मस्जिदें छीन ली जाएंगी. 22 जनवरी तक सारी पार्टियां एक्टिव मोड में हैं. ममता बनर्जी भी खाली नहीं बैठेंगी उनका भी रोल है. अयोध्या भले ही नहीं जाएंगी, लेकिन 22 जनवरी को बंगाल में धार्मिक सदभाव यात्रा निकालकर अलग धुरी की राजनीति करेंगी. राम सब देख रहे हैं. सारे रंग सारे ढंग देख रहे हैं.