King Charles III Coronation: ब्रिटेन के नए महाराज किंग चार्ल्स की ताजपोशी 6 मई को होनी है. इसके लिए लंदन में तैयारी भी जोरों पर है. पूरे शहर को दुल्हन की तरह सजा दिया गया है. वहीं, राजघराने में भी समारोह को लेकर तैयारियां चल रही है . जानकारी मुताबिक किंग चार्ल्स III के राजतिलक में तकरीबन 2,200 लोग खास मेहमान के तौर पर शिरकत करेंगे. 


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इसी के साथ किंग चार्ल्स की पत्नी कैमिला को ब्रिटेन की महारानी घोषित किया जाएगा. किंग चार्ल्स  की ताजपोशी में एक नया इतिहास लिखा जाएगा, इस बार कुछ ऐसा होने वाला है जो इससे पहले नहीं हुआ. दरअसल, ब्रिटिश रॉयल फैमिली ने ये फैसला लिया है कि इस ताजपोशी से कोहिनूर को दूर रखा जाएगा.


जी हां, नई महारानी कैमिला कोहिनूर हीरे से जड़े ताज को अपने सिर पर नहीं सजाएंगी. ये ताज कभी क्वीन एलिजाबेथ की शोभा में चार चांद लगाता था. जानकारी के मुताबिक इस बड़े फैसले के पीछे का कारण कोहिनूर का भारत से जुड़ा होना बताया जा रहा है. 


भारत की वजह से हो रहा है ऐसा 
दरअसल, भारत कोहिनूर हीरे पर शुरू से ही अपना होने का दावा करता आ रहा है. इसकी के चलते ब्रिटिश शाही परिवार राज्यभिषेक के दौरान किसी भी विवाद में नहीं पड़ना चाहता. भारत आज भी ब्रिटेन से भारत से लूटे गए कोहिनूर हीरे को लौटाने की मांग करता है.


ये ताज पहनेंगी क्वीन कैमिला
किंग चार्ल्स III के कोरोनेशन में ब्रिटेन की नई महारानी को क्वीन मैरी का हार पहनाया जाएगा, जिस क्वीन मैरी ने 1911 की ताजपोशी में पहना था. राज्याभिषेक समारोह के लिए बकिंघम पैलेस की ओर से निकाले गए शाही गहनों से यह स्पष्ट है कि महारानी कैमिला ने महारानी मैरी का क्राउन चुना है, जो 100 वर्षों से भी पुराना है.


जानकारी के मुताबिक क्वीन कैमिला के लिए इस ताज में जड़े रत्नों में कुछ बदलाव किए गए हैं. इस ताज को चुनने के पीछे ब्रिटिश राजपरिवार की ओर से यह दलील दी गई है कि यह ताज पर्यावरण के अनुकूल और सक्षमता के हक में है. 


किंग चार्ल्स के सिर पर सजेगा यह क्राउन
अपनी ताजपोशी के दौरान किंग चार्ल्स तृतीय सेंट एडवर्ड्स ताज पहनने वाले हैं. जानकारी के मुताबिक सेंट एडवर्ड्स ताज को 1661 में किंग चार्ल्स II के लिए बनवाया गया था. फिर ब्रिटेन की राजगद्दी पर जो भी राजा बैठा उसके सिर की शोभा कोहिनूर जड़ित ताज ने बढ़ाई. 


अब जानें कोहिनूर विवाद के बारे में
कोहिनूर दुनिया के सबसे बड़े हीरों में से एक है. इसका एक अपना ही इतिहास है. इसके पीछे कितने ही राजाओं में टकराहट हुई. जानकारी के मुताबिक यह हीरा भारत का है, जिसके बाद यह हीरा ईरानी शासक नादिर शाह तक जा पहुंचा. कोहिनूर 1739 के आसापास इसकी वतन वापसी हुई, लेकिन 1846 में पंजाब पर ब्रिटिश साम्राज्य के कब्जे के बाद उनकी नजरों से ये बेशकीमती और खूबसूरत हीरा बचाया नहीं जा सका.


उन्होंने वहां के महाराजा दलीप सिंह से कोहिनूर छीन लिया. बताया जाता है कि उस समय महाराजा की उम्र महज 5 साल ही थी. तब से लेकर आज तक भारत ने हर बार यही कोशिश की है कि कोहिनूर की किसी तरह वतन वापसी हो जाए.