UPSC Success Story: आंखों से नहीं देता दिखाई, स्कूल टीचर ने पांचवें अटेंप्ट में पास किया UPSC एग्जाम; पढ़िए पूरी कहानी
Who is Ayushi Dabas: आयुषी डबास ने पांच साल की कड़ी मेहनत के बाद 5वें प्रयास में 48 की ऑल इंडिया रैंक हासिल कर यूपीएससी 2021 पास कर लिया.
Blind School Teacher: अच्छी खासी तैयारी के बाद 10 लाख उम्मीदवारों में से केवल कुछ ही उम्मीदवार भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक, यूपीएससी को पास कर पाते हैं. कई उम्मीदवार प्रेरणा के रूप में पिछले सालों के बेस्ट प्रदर्शनकर्ताओं का उपयोग करके अपनी तैयारी व्यवस्थित करते हैं और स्ट्रेटजी तैयार करते हैं. जैसे-जैसे यूपीएससी मुख्य परीक्षा करीब आती है, ये यूपीएससी की सफलता की कहानियां इच्छुक उम्मीदवारों को प्रेरित करती रहती हैं.
हर यूपीएससी आवेदक 29 साल की आयुषी डबास की सफलता की कहानी से सीख सकता है. आंखों से दिखाई ने देने के बावजूद, देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक की तैयारी में जुटी रहीं. आयुषी ने पांच साल की कड़ी मेहनत के बाद 5वें अटेंप्ट में 48वीं ऑल इंडिया रैंक हासिल कर यूपीएससी 2021 पास कर लिया.
आयुषी ने एक्साइटमेंट के साथ कहा, हालांकि उन्हें यकीन था कि वह परीक्षा पास कर लेगी, लेकिन 50 से कम रेटिंग प्राप्त करना एक अलग ही अहसास था. डबास ने अपनी शिक्षा अपने गृहनगर रानी खेड़ा के एक निजी स्कूल में पूरी की और दिल्ली विश्वविद्यालय के श्यामा प्रसाद मुखर्जी कॉलेज से अपनी डिग्री हासिल की. बाद में उन्होंने इग्नू में हिस्ट्री में पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई की.
उनकी मां घर पर रहती है, उसके पिता पंजाब में एक निजी कंपनी में काम करते हैं. उन्होंने अपनी उपलब्धि के लिए अपनी मां को क्रेडिट दिया, जो एक सीनियर नर्सिंग अधिकारी थीं, जो 2020 में स्वेच्छा से अपने पद से रिटायर हो गईं. उनकी 54 साल की मां आशा रानी ने अपनी बेटी की परीक्षा पास करने की क्षमता पर भरोसा जताया.
आयुषी पिछले 10 साल से एक टीचर हैं, उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक एमसीडी संस्थान में अनुबंध प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका के रूप में की थी. उन्होंने दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (डीएसएसएसबी) परीक्षा पास करने के बाद 2019 में हिस्ट्री टीचर के रूप में काम करना शुरू किया. गवर्नमेंट गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल, नंबर 2, मुबारकपुर में उन्होंने कक्षा 11 और 12 में स्टूडेंट्स को हिस्ट्री पढ़ाई.
चूकि वह देख नहीं सकती हैं इसलिए बच्चों को पढ़ाने के लिए उसे बहुत मेहनत करनी पड़ी. डबास ने स्वीकार किया कि हालांकि वह इसे एक पेशे के रूप में करती हैं, लेकिन पढ़ाना उनका जुनून है. आयुषी के मुताबिक, वह महिलाओं और दिव्यांग लोगों के लिए शैक्षिक अवसर प्रदान करने के क्षेत्र में काम करने की इच्छा रखती हैं.
आयुषी ने टेस्ट के लिए तैयार होने के लिए पढा़ई की थी कि स्क्रीन रीडिंग प्रोग्राम का उपयोग कैसे किया जाए जो टेक्स्ट को ऑडियो में बदल देता है. अब उनके लिए लैपटॉप और फोन पर पढ़ाई करना आसान हो गया था. आयुषी सीखने के लिए काम करना चाहती है क्योंकि उन्हें लगता है कि यह लोगों को सशक्त बनाने का एक महत्वपूर्ण साधन है.