नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) द्वारा तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच कावेरी जल बंटवारे का विवाद सुलझाने के लिए बैठक नहीं बुलाने पर सोमवार को नाराजगी व्यक्त की। न्यायमूर्ति डीके जैन और न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर की पीठ ने मामले को शुक्रवार के लिए स्थगित करते हुए पूछा कि क्या प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली समिति की बैठक के लिए तारीख उसे तय करनी होगी। बैठक की तारीख तय करने से पहले पीएमओ द्वारा पत्र भेजकर समिति के सदस्यों की सुविधा पूछे जाने का मजाक उड़ाते हुए न्यायालय ने कहा कि यह तो आश्चर्यजनक है कि बैठक की तारीख तय करने से पहले पीएमओ हर किसी की सुविधा जान रहा है। न्यायालय ने पूछा कि प्रधानमंत्री अपनी सुविधा देखेंगे या अन्य लोगों की सुविधा। इसके साथ ही न्यायालय ने कहा कि कभी-कभी जब सरकार के सर्वोच्च अधिकारी की बात आती है तो हमारे पास शब्द कम पड़ जाते हैं। न्यायालय ने इसके पहले यह निर्देश देते हुए सुनवाई स्थगित कर दी थी सरकार इस विवाद को सुलझाने के लिए समिति की बैठक बुलाएगी। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता ने मई में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर कावेरी नदी प्राधिकरण की बैठक बुलाने का अनुरोध किया था। ज्ञात हो कि कावेरी नदी के जल का बंटवारा कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच गम्भीर विवाद की जड़ है। (एजेंसी)