नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सीबीआई से पूछा कि किस आधार पर उसने 2 जी घोटाले में निचली अदालत में द्रमुक सांसद कनिमोझी और चार अन्य की जमानत याचिका का विरोध नहीं करने का फैसला किया। न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और न्यायमूर्ति एचएल दत्तू की पीठ ने अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल हरेन रावल से कहा कि वह इस संबंध में कल उसके समक्ष बयान दें। न्यायालय ने यह बात तब कही जब एक अन्य आरोपी ने कहा कि जहां तक जमानत का सवाल है तो जांच एजेंसी को उनके साथ भी समान व्यवहार करना चाहिए।
 
न्यायालय पांच कॉरपोरेट अधिकारियों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। उन्होंने दलील दी कि उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया जाना चाहिए क्योंकि सबूतों के साथ उनके छेड़छाड़ करने का कोई खतरा नहीं है। जांच एजेंसी ने हालांकि कॉरपोरेट अधिकारियों की जमानत याचिका का विरोध किया। इन अधिकारियों में यूनिटेक वायरलेस के प्रबंध निदेशक संजय चंद्रा, स्वान टेलीकॉम के निदेशक विनोद गोयनका और रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी समूह के अधिकारी हरि नायर, गौतम दोषी और सुरेंद्र पिपरा शामिल हैं। उन्होंने जमानत के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
 
इससे पहले गत 24 अक्‍टूबर को जांच एजेंसी ने कनिमोझी, कलेंगनर टीवी के प्रबंध निदेशक शरद कुमार, कुसेगांव फ्रूट्स एंड वेजीटेबल्स के निदेशकों आसिफ बलवा, राजीव अग्रवाल और बालीवुड निर्माता करीम मोरानी की जमानत याचिका का यहां विशेष सीबीआई अदालत के समक्ष विरोध नहीं किया था। हालांकि, उसने स्वान टेलीकॉम के प्रमोटर शाहिद बलवा और पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा के पूर्व निजी सचिव आरके चंदौलिया की जमानत याचिका का निचली अदालत में विरोध किया था।
 
मामले के अन्य आरोपियों में पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा और तीन दूरसंचार फर्म रिलायंस टेलीकॉम लिमिटेड, स्वान टेलीकॉम और यूनिटेक :तमिलनाडु: वायरलेस लिमिटेड शामिल हैं। सभी आरोपियों ने दलील दी है कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है और 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन में अवैध लाभ लेने के आरोपों का खंडन किया है।
(एजेंसी)