नई दिल्ली: रिजर्व बैंक द्वारा सस्ती आवासीय परियोजनाओं के वित्तपोषण को बैंकों के लिए दीर्घावधि का कोष जुटाने के नियमों में ढील दिए जाने से आवास ऋण पर मासिक किस्त (ईएमआई) में 8 से 10 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। परामर्शक कंपनी केपीएमजी ने आज यह बात कही।


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बुनियादी ढांचा विकास तथा सस्ते मकानों को प्रोत्साहन देने के लिए रिजर्व बैंक ने दीर्घावधि के बांड को नियामकीय नियमों सीआरआर और एसएलएल से छूट दी है, बशर्ते जुटाए गए धन का इस्तेमाल ऐसी परियोजनाओं में किया जाए। रिजर्व बैंक ने कहा कि सस्ते मकानों के लिए रिण से तात्पर्य प्राथमिकता क्षेत्र के तहत पात्र ऋण और छह महानगरों मुंबई, नयी दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलूर व हैदराबाद में 65 लाख रुपये तक के घर के लिए 50 लाख रुपये तक का ऋण आता है।


अन्य क्षेत्रों के लिए यह 50 लाख रुपये तक के मकान के लिए 40 लाख रुपये बैठता है। केपीएमजी के पार्टनर एवं रीयल एस्टेट तथा निर्माण प्रमुखप नीरज बंसल ने कहा, रिजर्व बैंक का ताजा कदम स्वागतयोग्य है। इससे आवास की मांग बढ़ेगी और कुछ हद तक मकानों को पहुंच में किया जा सकेगा।