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तोक्यो : जापान का पांच दिन का दौरा सफलतापूर्वक संपन्न कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को स्वदेश रवाना हो गए। प्रधानमंत्री के इस दौरे में जापान ने भारत में अगले पांच साल के दौरान विकास कार्यों के लिए 35 अरब अमेरिकी डॉलर की राशि निवेश करने का वादा किया है।


दोनों देशों ने रक्षा और अन्य सामरिक क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का भी निर्णय किया है। मोदी की इस यात्रा के दौरान दोनों पक्षों ने पांच समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं जिसमें रक्षा संबंधी आदान प्रदान, स्वच्छ उर्जा में सहयोग, सड़क और राजमार्ग, स्वास्थ्य और महिला उत्थान जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इसके अलावा दोनों देशों ने अपने संबंधों को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का भी संकल्प जताया।


जापान ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) सहित छह भारतीय कंपनियों पर से प्रतिबंध भी हटा लिया है। वर्ष 1998 में परमाणु परीक्षण करने के बाद से इन कंपनियों पर प्रतिबंध लगा था।


पांच दिवसीय दौरे में मोदी ने जापान के निवेशकों को भारत आमंत्रित किया और उद्योग के लिए, खास कर विनिर्माण के क्षेत्र में भारत को एक अनुकूल देश के तौर पर पेश करने की पुरजोर कोशिश की। मोदी के मई में प्रधानमंत्री बनने के बाद उपमहाद्वीप के बाहर यह उनकी पहली यात्रा थी।


जापानी उद्योगपतियों से मोदी ने कहा कि भारत अपने यहां निवेश के लिए उनका इंतजार कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत ने निवेशकों के लिए ‘रेड कार्पेट’ बिछाया है, न कि अब ‘रेड टैप’ (लालफीताशाही) की बाधाएं हैं क्योंकि उनकी सरकार ने नियमों और प्रक्रियाओं को आसान बनाया है। मंगलवार को अपना आधिकारिक कार्यक्रम संपन्न करते हुए मोदी ने भारत में ‘विश्वास’ बहाल करने के लिए जापान का आभार व्यक्त किया और उसके साथ भारत की दोस्ती को इन शब्दों में जाहिर किया ‘यह फेवीकोल से भी ज्यादा मजबूत जोड़ है।’


मोदी ने पूर्व में अपने सम्मान में यहां भारतीय समुदाय द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कहा कि यह दौरा अत्यंत सफल रहा। उन्होंने कहा कि करोड़ों और अरबों की बातें हुईं लेकिन खरबों की बात कभी नहीं हुई। उनका संकेत जापान द्वारा भारत में 35 अरब डालर की राशि का निवेश करने के वादे की ओर था। जापान यह राशि अगले पांच साल के दौरान स्मार्ट शहरों के निर्माण और गंगा नदी की सफाई जैसे विभिन्न कार्यों के लिए निजी और सार्वजनिक कोषों के माध्यम से निवेश करेगा।


मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिन्जो आबे के बीच बातचीत के दौरान दोनों पक्षों ने रक्षा और रणनीतिक सहयोग को नयी उंचाई तक पहुंचाने का तथा असैन्य परमाणु करार के बारे में बातचीत को गति देने का भी निर्णय किया। यह असैन्य परमाणु करार अब तक नहीं हो पाया है। दोनों ही नेताओं के बीच बेहतरीन तालमेल था और उनके मध्य ‘सार्थक’ आदानप्रदान हुआ।


मोदी जब पांच दिवसीय दौरे के पहले चरण में 30 अगस्त को यहां पहुंचे तो आबे ने खुद उनका स्वागत किया। क्योतो में एक करार पर हस्ताक्षर किए गए जिसके तहत मोदी के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी को जापान की मदद से ‘स्मार्ट शहर’ क्योतो की तरह विकसित किया जाएगा। आबे ने यह भी घोषणा की कि भारत..जापान सहयोग के उदाहरण के तौर पर तोक्यो ‘बुलेट ट्रेन’ शुरू करने के लिए भारत को वित्तीय, प्रौद्योगिकी और संचालनगत सहयोग प्रदान करने में मदद करेगा। ‘बुलेट ट्रेन’ मोदी की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है।


जापान का पांच दिवसीय दौरा संपन्न करने के बाद मोदी ने कहा कि यह सिर्फ अपने संबंधों का एक श्रेणी से दूसरी में बदलाव नहीं है। हमारे संबंध न सिर्फ क्षेत्रीय हैं बल्कि उनका वैश्विक प्रभाव भी पड़ेगा।


(एजेंसी इनपुट के साथ)