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श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर में बाढ़ की भविष्यवाणी चार साल पहले ही कर दी गई थी। जम्मू कश्‍मीर के बाढ़ नियंत्रण विभाग ने चार साल पहले ही यह चेतावनी दी थी कि ज्यादा बारिश के कारण श्रीनगर बाढ़ में डूब जाएगा।


मगर वैज्ञानिकों के कई अध्ययनों और रिपोर्टों के बावजूद जम्मू कश्मीर सरकार ने ध्यान नहीं दिया। बाढ़ जैसी आपदाओं से निपटने की तैयारी की जगह सरकार रिपोर्टों पर बैठी रही। इसी का नतीजा है कि आज राज्य में बाढ़ से 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और लाखों लोग बेघर हो गए। एक समाचार पत्र के मुताबिक रिपोर्ट और करीब एक टन की कॉपियां व हेवी डयूटी कंसाइमेंट ट्रक में केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय को भेजा गया था।


डिलीवरी के बाद उन पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। तब श्रीनगर के जल स्त्रोतों के बारे में भविष्यदर्शी अध्ययन हुआ था जो वन एवं पर्यावरण मंत्रालय में धूल फांक रहा है। अध्ययन जम्मू कश्मीर स्टेट सेंसिंग सेंटर की जीआईएस प्रयोगशाला ने किया था। अध्ययन में कहा गया था कि पिछली सदी में श्रीनगर के 50 फीसदी से ज्यादा जल स्त्रोत सूख चुके हैं। वैज्ञानिक हुमायूं रशीद और गौहर नसीम ने 1911 से 2004 के बीच झील के सिकुड़ने पर अध्ययन के लिए सैटेलाइट तस्वीरों का इस्तेमाल किया था। इनका कहना था झीलें और आद्र प्रदेश के स्थानिक फैलाव में कमी के कारण शहर का माइक्रो क्लाइमेट प्रभावित हुआ है। इससे बाढ़ के खतरे का पता चलता है।


बाढ़ नियंत्रण विभाग ने 2010 में दी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि श्रीनगर को अगले पांच साल में प्रलय का सामना करना पड़ सकता है लेकिन विभाग ने जिंदगियां और संपत्ति बचाने के लिए कुछ नहीं किया। वह आंखें मूंदे बैठा रहा। विभाग के एक अधिकारी ने कहा था कि बाढ़ से प्रभावित श्रीनगर के ज्यादातर इलाके जलमग्न हो जाएंगे। रिपोर्ट रहस्यमय ढंग से पूरी तरह ठीक साबित हुई। रिपोर्ट में कहा गया था कि श्रीनगर जम्मू राजमार्ग बह जाएगा जिससे घाटी का देश के अन्य हिस्सों से संपर्क कट जाएगा। साथ ही एयरपोर्ट की ओर जाने वाली सड़कें जलमग्न हो जाएंगी। इन सब खुलासों और अनुमानों के बावजूद राज्‍य सरकार पूरी तरह निष्क्रिय बनी रही। जिसका नतीजा आज यह है कि जम्‍मू कश्‍मीर में बीते कई दशक की यह सबसे भीषण बाढ़ है।