Austria News: बच्चों की जिद के सामने अक्सर माता-पिता हार मान लेते हैं, लेकिन कभी-कभी जिद का नतीजा कुछ बेहद चौंकाने वाला और असामान्य भी हो सकता है. ऐसा ही एक दिलचस्प और अजीबोगरीब मामला हाल ही में ऑस्ट्रिया से सामने आया है, जहां एक डॉक्टर मां ने अपनी बेटी की जिद के आगे झुकते हुए एक मरीज का ऑपरेशन करवाने की अनुमति दी. लेकिन जो कुछ हुआ, वह वाकई हैरान करने वाला था.


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13 साल की बेटी ने की सर्जरी 


डेली स्टार न्यूज वेबसाइट के मुताबिक, ऑस्ट्रिया के ग्राज शहर में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने पूरे मेडिकल समुदाय को हैरान कर दिया है. यहां एक महिला डॉक्टर को चार महीने पहले सस्पेंड किया गया था, क्योंकि उसने अपनी 13 साल की बेटी से सर्जरी करवाई थी. यह घटना अब एक नए मोड़ पर पहुंच गई है, क्योंकि अब महिला डॉक्टर अस्पताल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर रही है.


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अप्रैल के बाद फिर से चर्चा में 


39 साल के शख्स को एक गंभीर स्थिति में LKH अस्पताल लाया गया था. मामला यह था कि उस पर एक पेड़ गिर गया था, जिससे उसकी सिर की हड्डियां टूट गईं थीं और उसे तत्काल सर्जरी की जरूरत थी. ऑपरेशन बेहद जटिल था, और समय पर सर्जरी ना की जाती तो उसकी जान को खतरा हो सकता .यहां तक तो सब ठीक था, लेकिन अप्रैल में इस घटना के बाद एक हैरान कर देने वाली बात सामने आई. पता चला कि ऑपरेशन के दौरान उस मरीज की खोपड़ी में ड्रिल करने का काम उस महिला डॉक्टर की बेटी ने किया था, जो उस समय अपनी मां के साथ अस्पताल में थी.


सर्जरी के दौरान बेटी का शामिल होना


मरीज के ऑपरेशन के दौरान महिला न्यूरोसर्जन ने अपनी बेटी को सर्जरी में शामिल किया और उसे मरीज की खोपड़ी में छेद करने का कार्य दिया गया. इस घटना की जानकारी जैसे ही सार्वजनिक हुई, बवाल मच गया. यह बात सामने आई कि सर्जरी में पेशेवर अनुभव और लाइसेंस प्राप्त डॉक्टर के अलावा किसी और को शामिल करना न केवल नियमों के खिलाफ है, बल्कि यह गंभीर जोखिम भी पैदा कर सकता था.


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महिला न्यूरोसर्जन को तुरंत सस्पेंड कर दिया गया


इस घटना के बाद महिला न्यूरोसर्जन को तुरंत सस्पेंड कर दिया गया. अस्पताल ने कहा कि यह घटना मेडिकल प्रोफेशन के मानकों और नियमों के खिलाफ है. मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस को भी बुलाया गया. पुलिस ने अस्पताल प्रशासन से जानकारी लेकर मामले की जांच शुरू की. साथ ही, पुलिस ने उस मरीज को भी इस बारे में सूचित किया और उससे बयान लिया.


तीन महीने तक इंतजार कराया गया


इस हफ्ते हुई सुनवाई में महिला डॉक्टर के वकील ने कोर्ट में अपनी दलील दी कि जब महिला ने अपना बयान दे दिया था, तो उसे तुरंत नौकरी से निकाल दिया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसके बजाय, उसे सस्पेंड किया गया और फिर तीन महीने तक इंतजार कराया गया. वकील का कहना था कि जब ऑपरेशन के दौरान मौजूद एनेस्थेटिस्ट (अस्थायी चिकित्सा विशेषज्ञ) का बयान अस्पताल को मिल गया, तब जाकर महिला को नौकरी से निकाला गया.


महिला डॉक्टर की सस्पेंशन और पुलिस जांच


वकील ने यह भी कहा कि अगर महिला को तुरंत निलंबित किया गया होता, तो यह मामला जल्दी निपट सकता था, लेकिन अब यह मुद्दा लंबा खींचा गया है. महिला डॉक्टर अब यह दावा कर रही है कि वह सेटलमेंट की बात तब तक नहीं करेगी, जब तक उसे उसकी नौकरी वापस नहीं दी जाती.


मामला पहुचा कोर्ट 


इस पर कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए फैसला लिया कि इस केस को 20 जनवरी तक सस्पेंड कर दिया जाए. कोर्ट ने कहा कि तब तक ऑपरेशन के दौरान मौजूद सर्जन और अन्य चिकित्सकों का बयान भी दर्ज किया जाएगा. इस बयान के आधार पर ही आगे की कार्रवाई तय की जाएगी. यह पूरी प्रक्रिया अब अदालत के पास है, और केस की सुनवाई में यह देखा जाएगा कि क्या महिला डॉक्टर का निलंबन सही था या फिर अस्पताल ने अपने आंतरिक नियमों का उल्लंघन किया. इस बीच, महिला डॉक्टर की नौकरी पर सवाल बना हुआ है और यह देखना बाकी है कि कोर्ट इसका क्या निर्णय देती है.