बिहारी शख्स ने 1500 फीट ऊंचे पहाड़ पर बनाई 400 सीढ़ियां, देखकर लोगों के उड़ गए होश
Bihar News: बिहार के एक शख्स ने चौंकाने वाला काम किया. उसने अपने हाथों से एक पहाड़ पर 400 सीढ़ियां तराशीं जो एक मंदिर की ओर ले जाती हैं. शख्स की पहचान गनौरी पासवान (Ganauri Paswan) के रूप में हुई है और वह बिहार स्थित जारू बनवारिया गांव का रहने वाला है.
Shocking News: बिहार के एक ऐसे शख्स, जिन्होंने पहाड़ से लड़कर अपनी जीत हासिल की थी. आज भी उन्हें लोग एक नायक के रूप में देखते हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं दशरथ मांझी की. उन्होंने अकेले ही 25 फीट ऊंची पहाड़ी को केवल हथौड़े और छेनी से काटकर 30 फुट चौड़ा और 360 फुट लंबा रास्ता बना दिया था. उनके काम ने गांव के लोगों के यात्रा के समय को बहुत कम कर दिया. बाद में उनके जीवन पर एक बॉलीवुड फिल्म भी बनी जिसका नाम 'मांझी- द माउंटेन मैन' (Manjhi The Mountain Man) था. अब बिहार के एक और शख्स ने कुछ ऐसा ही कारनामा किया है और उन्हें 'मांझी 2.0' (Manjhi 2.0) कहा जा रहा है. क्या आप जानने के लिए बेहद उत्सुक हैं?
सीढ़ियां बनाने के लिए दिन-रात कर दिया एक
बिहार के एक शख्स ने चौंकाने वाला काम किया. उसने अपने हाथों से एक पहाड़ पर 400 सीढ़ियां तराशीं जो एक मंदिर की ओर ले जाती हैं. शख्स की पहचान गनौरी पासवान (Ganauri Paswan) के रूप में हुई है और वह बिहार स्थित जारू बनवारिया गांव का रहने वाला है. उन्होंने कथित तौर पर पहाड़ पर बाबा योगेश्वर नाथ मंदिर की ओर जाने वाली सीढ़ियां बनाने के लिए आठ साल तक काम किया. गनौरी ने हथौड़े और छेनी जैसे हथियार का यूज करके 1500 फीट ऊंचे पहाड़ पर 400 सीढ़ियां बना डाली. यह सुनकर लोगों को यकीन नहीं हो रहा कि उसने अकेले ऐसा कारनाम किया.
गनौरी ने पहाड़ पर बना डाली 400 सीढ़ियां
मीडिया में खबरों के मुताबिक, गनौरी के साथ मदद के लिए कभी-कभी उसके दोस्त और परिवार वाले भी साथ में होते थे. कई लोगों का मानना है कि जारू बनवारिया गांव में योगेश्वर नाथ मंदिर में दर्शन के दौरान जहानाबाद के लोगों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. मंदिर तक पहुंचने के लिए बुजुर्गों, बच्चों और विकलांग लोगों को बेहद कठिनाई होती थी, लेकिन अब यह आसान हो गई. गनौरी पासवान ने यह भी दावा किया कि काम के दौरान उन्हें कई छोटी मूर्तियां भी मिलीं. उन्हें इस दौरान जिस एक चुनौती का सामना करना पड़ा, वह सीढ़ियों को तराशते वक्त अधिकांश समय अपने परिवार से दूर रहने की थी.
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