बुर्का पहने और पीठ पर Swiggy का बैग लादे पैदल जा रही महिला की तस्वीर ने मचाई सनसनी; ऐसी है दर्दभरी कहानी
Delivery In Burqa: वह महिला पैदल लोगों के घरों में सामान पहुंचाने का काम करती है. चलिए हम आपको आपको रिजवाना नाम की महिला की दर्दभरी कहानी के बारे में बतलाते हैं, जो बेहद ही कठिन परिस्थितियों से गुजरी है.
Delivers Goods Swiggy Bag In Burqa: ऐसी कहावत आपने जरूर सुनी होगी कि अपना काम ही सबसे बड़ा धर्म होता है. सोशल मीडिया पर एक ऐसी तस्वीर वायरल हो रही है, जिसे देखकर आप भी सोच में पड़ जाएंगे. इंटरनेट पर वायरल होने वाली यह तस्वीर एक महिला की है, जिसने बुर्का तो पहना हुआ है, लेकिन अपने पीठ पर एक स्विगी (Woman With Swiggy Bag) का बैग भी लादा है. इतना ही नहीं, वह महिला पैदल लोगों के घरों में सामान पहुंचाने का काम करती है. चलिए हम आपको आपको रिजवाना नाम की महिला की दर्दभरी कहानी के बारे में बतलाते हैं, जो बेहद ही कठिन परिस्थितियों से गुजरी है.
बुर्का पहनकर सामान डिलीवरी करती हैं ये महिला
बुर्का पहने रिजवाना की तस्वीर ने सोशल मीडिया पर जमकर सनसनी मचाई है क्योंकि वह स्विगी डिलीवरी बैग (Swiggy Delivery Bag) में डिस्पोजेबल सामान रखकर लोगों के घर पैदल ही पहुंचती है. सूत्रों के मुताबिक, वह एक गरीब परिवार से आती हैं और लखनऊ के जगतनारायण रोड पर जनता नगरी कॉलोनी में एक कमरे के घर में रहती हैं. वह ऑनलाइन फूड डिलीवरी चेन स्विगी (Swiggy) के लिए काम नहीं करती. उसने सिर्फ डिस्पोजेबल सामान डिलीवर करने के लिए स्विगी वाले बैग को खरीदा है. उसने कहा कि उसका बैग फट गया था जिसके कारण उसने स्विगी बैग खरीदने का फैसला किया.
पूरा किस्सा जानकर बेहद हैरान रह जाएंगे आप
रिजवाना ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, "मैं डिस्पोजेबल कटलरी बेचती हूं, डोर-टू-डोर और स्थानीय दुकानों पर जाती हूं. मैं अपने सामानों को एक बैग में ले जाती थी, जो फट गया था. फिर मैंने इस 'स्विगी' के बैग को 50 रुपये में खरीदा." प्राप्त जानकारी के मुताबिक, रिक्शा चलाने वाले उसके पति ने करीब तीन साल पहले उसे छोड़ दिया था. रिजवाना चार बच्चों की मां हैं और उनकी सबसे बड़ी बेटी की शादी दो साल पहले हुई थी. अब रिजवाना के पास अपने और तीन अन्य बच्चों बुशरा जिसकी उम्र 19 साल, नशरा जिसकी उम्र 7 साल और उनके बेटे मोहम्मद यासीन हैं, जिनकी जिम्मेदारी उनके कंधों पर है. उनके लिए अब यह जिंदगी चैलेंज बन गई है, ताकि वह रोजी-रोटी कमाकर गुजारा कर सके.
अपनी लाइफ के बारे में कही यह बात
न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए रिजवाना ने बोलीं, ‘मेरे लिए काम करना बहुत जरूरी है, क्योंकि मैं चाहती हूं कि मेरे बच्चे पढ़ें. मैंने हाल ही में अपनी छोटी बेटी को एक स्कूल में दाखिला दिलाया है, और अगले साल अपने बेटे को दाखिला दिलवाऊंगी. प्रसव के काम के साथ-साथ मैं अधिक कमाई करने के लिए घरों में भी काम करती हूं. मैं लगभग 6-7 किमी रोजाना पैदल चलती हूं, लेकिन दिन के अंत में मेरी कुल बचत लगभग 60-70 रुपये ही होती है.’
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