Latest Trending News: भारत में शादी के बाद जब दुल्हन की विदाई का समय आता है तो वह आमतौर पर खूब रोती है. अधिकतर शादियों में यही देखने को मिलता है. यह परंपरा लंबे समय से चल रही है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस तरह की ही परंपरा पड़ोसी मुल्क चीन में भी है. यहां भी एक जगह ऐसी है जहां दुल्हन को विदाई के वक्त रोना पड़ता है. अगर उन्हें रोना नहीं आता तो उन्हें पीटकर रुलाया जाता है. ऐसा करने के पीछे की वजह भी काफी दिलचस्प है. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला.


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17वीं शताब्दी में काफी प्रचलित थी परंपरा


रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के दक्षिण पश्चिमी प्रांत सिचुआन में तूजिया जनजाति के लोग रहते हैं. ये लोग यहां हजारों साल से रह रहे हैं. इनके यहां अगर किसी दुल्हन की शादी होती है तो उनका उस दौरान रोना जरूरी है. ये परंपरा लंबे समय से चली आ रही है. रिपोर्ट के अनुसार ये परंपरा 17वीं शताब्दी में चरम पर थी. बताते हैं कि इसकी शुरुआत 475 बीसी से 221 बीसी के बीच हुई थी. उस वक्त ज़ाओ स्टेट की राजकुमारी की शादी यैन राज्य में हुई थी. शादी के बाद जब उनकी विदाई हो रही थी तब उनकी मां फूटफूटकर रोई थीं और बेटी को जल्दी घर लौटने को कहा था. इसी के बाद से यहां यह परंपरा शुरू हुई.


दुल्हन के ना रोने को मानते हैं बुरा


अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि आखिर दुल्हन का रोना क्यों जरूरी है. दरअसल, जो दुल्हन विदाई पर नहीं रोती है, उसे इस जनजाति के लोग बुरी पीढ़ी मान लेते हैं और गांव में उस परिवार का मजाक उड़ाया जाता है. समाज में मजाक बनने से बचने के लिए विदाई के दौरान जब दुल्हन नहीं रोती है तो उसे पीटकर रुलाया जाता है.


विदाई से पहले भी रोने की परंपरा


दक्षिण पश्चिमी प्रांत में विदाई के दौरान सिर्फ दुल्हन के रोने का रिवाज है, तो पश्चिमी प्रांत में रिवाज इससे अलग है. यहां जुओ टांग नाम की एक परंपरा है. इसका मतलब हॉल में बैठना होता है. यहां शादी के एक महीने पहले, रात के वक्त दुल्हन को किसी बड़े हॉल में बैठकर करीब 1 घंटे तक रोना होता है. इसके 10 दिन बाद उसकी मां भी उसके साथ इसमें जुड़ जाती है और फिर 10 दिन बाद दादी-नानी, बहन, बुआ-मौसियां और अन्य महिलाएं उसके साथ जुड़ते हैं. रोने के दौरान क्राइंग मैरेज नाम का एक गाना बजता है.


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