Mandsaur Collector Office: मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले का एक वीडियो सामने आया है जिसमें दिख रहा है कि एक बूढ़ा किसान कलेक्टर कार्यालय की फर्श पर हाथ जोड़कर लुढ़क रहा था. वह बार-बार पूछ रहा है कि अब क्या करें? दफ्तर के अधिकारी और आने-जाने वाले लोग उसे देख रहे थे. वीडियो में परेशान दिख रहा किसान जमीन पर कब्जा करने वाले स्थानीय माफिया के खिलाफ गुहार लगा रहा है.


लोटकर लोगों का ध्यान खींचने की कोशिश


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असल में शंकरलाल नाम के इस किसान का आरोप है कि कई शिकायतों के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिस वजह से उसने कलेक्टरेट के दफ्तर में लोटकर लोगों का ध्यान खींचने की कोशिश की. एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक शंकरलाल ने अपनी परेशानी बताते हुए बताया कि जमीन माफिया ने मेरी ज़िंदगी दूभर कर रखी है. तहसीलदार गलती करता है, मगर सजा किसान को मिलती है. वो गलती करते हैं और हम परेशान होते हैं.


'किसानों को ठगा जा रहा'


किसान ने बताया कि सरकार और प्रशासन से मैं बहुत नाराज हूं. उसने आरोप लगाया कि यहां के अधिकारी भ्रष्ट हैं. हमारी बहुत बुरी हालत है. किसानों को ठगा जा रहा है. जिलाधिकारी दिलीप यादव ने बताया कि, "जन सुनवाई में आने वाली सभी समस्याओं का तुरंत समाधान किया जाता है." उन्होंने कहा कि मंगलवार को जन सुनवाई में बहुत से लोग आए थे और उनकी समस्याओं को सुना गया और जितना हो सका, हल किया गया. 


जानकारी के मुताबिक स्थानीय प्रशासन ने यह स्पष्ट किया कि जिस ज़मीन को लेकर शिकायत थी, उस पर शंकरलाल का कब्जा बना हुआ है. फिलहाल, जमीन शंकर और उसके परिवार के पास ही है. उन्होंने यह भी बताया कि पहले जो जमीन बटाईदारों ने बेची थी, उसका आधा हिस्सा अभी भी खरीदने वाले ने नहीं लिया है.



सरकारी जांच में पता चला है कि सुखड गांव में दो इलाके हैं जिनका नंबर 604 और 625 है. इलाका नंबर 604 का क्षेत्रफल 2.5 हेक्टेयर और 625 का क्षेत्रफल 1.01 हेक्टेयर है. इन दोनों इलाकों के मालिक शंकरलाल और उनका परिवार हैं, जिनमें फूलचंद के बेटे -  अनोखीलाल, Bhagwan भाई और रेशम भाई, साथ ही घाटी के बच्चे बाबा घासीराम, करु लाल, रामलाल, प्रभु लाल, मंगी बाई और पार्वती बाई शामिल हैं.


इन जमीनों में से आधी जमीन को दिसंबर 31, 2010 के एक बिक्रीनामे के अनुसार मंदसौर के रहने वाले नारायण राव के बेटे अश्विन को बेच दी गई थी.  2010-11 के दाखिल खतौनी रजिस्टर में तत्कालीन सीतामऊ के तहसीलदार ने इस जमीन के हस्तांतರ को मंजूरी दे दी थी.  लेकिन, बेची गई जमीन अभी भी करु लाल, रामलाल, प्रभु लाल, मंगी बाई और पार्वती बाई के कब्जे में है, जो इसे अश्विन को सौंपने को तैयार नहीं हैं.