सरकारी स्कूल की टीचर की पति की हुई मौत, डिप्रेशन में गईं; फिर पॉवर लिफ्टिंग करके यूं बनीं मिसाल
Government School Teacher: आज शोभा माथुर राजस्थान की पॉवर लिफ्टर के नाम से जानी जाती है. हम बात कर रहे रावतभाटा के एक सरकारी स्कूल की महिला टीचर शोभा माथुर की, जो जीवन में हताश और निराश हो चुकी महिलाओं के लिए मिसाल है.
Powerful Woman In Power Lifting: ये कहानी है उस महिला कि जो पति को खोने के बाद टूट चुकी थी. तीन साल पहले पति की मौत के बाद हताश होकर डिप्रेशन में चली गई. पति की आकस्मिक मौत ने उसे झकझोर कर रख दिया था. इसके बावजूद उसने जैसे तैसे खुद को संभाला और अपने आप को वेट लिफ्टिंग के पैशन में झोंक दिया. जिसके बाद मेहनत और लगन के दम पर उसे गोल्ड और सिल्वर मेडल मिलने लगे. आज वो राजस्थान की पॉवर लिफ्टर के नाम से जानी जाती है. हम बात कर रहे रावतभाटा के एक सरकारी स्कूल की महिला टीचर शोभा माथुर की, जो जीवन में हताश और निराश हो चुकी महिलाओं के लिए मिसाल है.
हताश हो चुकी महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं शोभा
जीवन में किसी बड़े हादसे या घटना के बाद जीवन से हताश हो चुकी महिलाओं के लिए एक शोभा एक बड़ी मिसाल हैं. शोभा ने अपने जज्बे से यह साबित कर दिया है कि इरादा अगर मजबूत हो तो जीवन में आने वाली बड़ी से बड़ी बाधा को पार किया जा सकता है. तीन साल पहले शोभा माथुर ने अपने पति धर्मेंद्र माथुर को खो दिया था, जिसके बाद वो डिप्रेशन में चली गई थीं. बच्चों के कहने पर शोभा ने अपने मनपसंद शौक पॉवर लिफ्टिंग की तरफ रुख किया. इसके बाद खुद को पॉवर लिफ्टिंग के पैशन में इस कदर झोंका कि मात्र दो महीनों की प्रैक्टिस के बाद वो मेडल पर मेडल जीतते चली गईं.
50 साल की उम्र में कर रही हैं पॉवर लिफ्टिंग
दो बड़े बच्चों की मां और 50 साल की शोभा माथुर रावतभाटा के आरपीएस बाल्मिकी बस्ती में सरकारी टीचर हैं. पावर लिफ्टर मीराबाई चानू, कर्नम मल्लेश्वरी से प्रेरित शोभा ने शादी के बाद भी अपने पॉवर लिफ्टिंग के शौक को कायम रखा. पति के निधन के बाद से शुरुआती प्रैक्टिस से वो डिप्रेशन से उभरने लगी थी. उन्होंने महाराष्ट्र चंद्रपुरा में 12 से 16 अक्टूबर तक आयोजित नेशनल मास्टर मैन-वुमन क्लासिक पावर लिफ्टिंग चैम्पियनशिप में 290 किलो वजन उठाकर पावर लिफ्टिंग का सिल्वर मेडल जीते. यहां उनका मुकाबला एशियन गेम्स की गोल्ड मेडलिस्ट से था.
अपने पैशन को फॉलो किया तो मेडल की हुई बौछार
इसके बावजूद सिर्फ 5 किलो वजन का फर्क रहा और शोभा ने पिछली नेशनल प्रतियोगिता के मुकाबले 28 किलोग्राम ज्यादा 290 किलो वजन उठा लिया. जो अपने आप में एक बड़ा रिकॉर्ड है. इस प्रतियोगिता में जैसे ही एक-एक कर शोभा माथुर को 4 सिल्वर मेडल दिए गए, उनकी आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े. वहां मौजूद खिलाड़ियों और दर्शकों ने भी तालियां बजा कर शोभा का हौसला बढ़ाया.
अब 2023 के एशियन गेम्स की तैयारी
साल 2021 में पहली बार राज्यस्तरीय पावर लिफ्टिंग में पदक जीता. उसके बाद उदयपुर में 220 किलो वजन उठाकर गोल्ड हासिल किया. भरतपुर में मई 2022 में 257 किलो वजन उठाकर गोल्ड हासिल किया. उसके बाद 262.500 ग्राम वजन उठाकर गोल्ड मेडल हासिल किया. इसके अलावा महाराष्ट्र में 63 से 69 भार वर्ग में शोभा ने 4 सिल्वर मेडल हासिल किए, जिसमें उन्होंने 290 किग्रा वजन उठाकर स्क्वाट सिल्वर मेडल, बैंचप्रेस सिल्वर मेडल, डेडलिफ्ट, रजत मेडल, ऑल ओवर सिल्वर मेडल जीता. वहीं सब कुछ ठीक रहा तो साल 2023 में आयोजित एशियन गेम में शोभा भारत का प्रतिनिधित्व भी कर सकती हैं.
रिपोर्ट: ओम भट्ट