Wedding News: भारत में दहेज प्रथा को खत्म करने के लिए कई कानून हैं. कई स्वयंसेवी संस्थाएं और कार्यकर्ता भी देश में दहेज प्रथा को रोकने के लिए काम करते हैं. लेकिन ये भी सच है कि असली बदलाव कानून से नहीं बल्कि खुद लोगों की सोच बदलने से आता है. इसी सोच का समर्थन करते हुए राजस्थान के सीकर जिले के दांतारामगढ़ के जय नारायण जाखड़ नाम के एक दूल्हे ने शादी में दहेज लेने से इनकार कर एक साहसी कदम उठाया. उन्होंने अपनी पत्नी को नौकरी मिलने के बाद उनकी कमाई उनके माता-पिता को भेजने के लिए भी कहा. इस दहेज-मुक्त विवाह की पूरे राज्य में सराहना हो रही है.


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दहेज का अनोखे अंदाज में विरोध


दूल्हा जय नारायण जाखड़ सरकारी विभाग (लोक कल्याण विभाग) में जूनियर इंजीनियर (JE) हैं और दुल्हन अनीता वर्मा पोस्ट-ग्रैजुएट हैं. जय नारायण का कहना है कि अनीता के माता-पिता ने उन्हें बहुत अच्छा पाला है और उन्हें पढ़ा लिखाकर आगे बढ़ाया है. उन्होंने कहा कि आज के समय में शिक्षा दहेज से कम महत्वपूर्ण नहीं है. जय नारायण ने सिर्फ एक रुपये और एक नारियल के साथ शादी की. लोकल18 से बात करते समय अनीता ने बताया कि सबसे पहले दहेज ना लेने का रिश्ता जय नारायण के परिवार वालों ने ही रखा था. जय नारायण का कहना है कि उनके दादा जी और पिता जी हमेशा समाज की बुराइयों के खिलाफ बोलते थे.


दूल्हे ने ये सबक अपने दादा-पिता से ली


दूल्हे जय नारायण ने कहा, "अपने दादा जी और पिता जी से प्रेरित होकर मैंने बिना दहेज के शादी करने का फैसला किया ताकि समाज में फैली इस बुरी प्रथा को खत्म किया जा सके. इस फैसले में मेरे परिवार के लोगों ने मेरा पूरा समर्थन किया." सीकर और जयपुर सहित पूरे राजस्थान में इस अनोखी शादी की चर्चा हो रही है. दांता रामगढ़ के विधायक वीरेंद्र सिंह ने भी दूल्हा-दुल्हन के इस फैसले की सराहना की है. विधायक खुद उनकी शादी में शामिल हुए और इसे समाज में फैली दहेज की कुप्रथा को खत्म करने के लिए एक अच्छा कदम बताया.


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दुल्हन पोस्ट-ग्रेजुएशन के बाद सरकारी नौकरी की तैयारी कर रही है. दूल्हे के परिवार ने उससे वादा किया है कि अगर उसे सरकारी नौकरी मिल जाती है, तो वह अपनी कमाई एक साल तक अपने माता-पिता को दे सकती है. ताकि उन्हें अपनी बेटी को पढ़ाने और उसे काबिल बनाने में किए गए त्याग का फल मिल सके.