Knowledge Fact: जब दुनिया में नहीं थीं मधुमक्खियां, तब कैसे खिलते थे फूल? रिसर्चर ने चौंकाया
New Science Research: इंसानों का मन बहुत जिज्ञासु है और अक्सर इसमें अजीबोगरीब सवाल आते रहते हैं. इन्हीं सवालों का जवाब वैज्ञानिक ढूंढने की कोशिश करते हैं. क्या आपने कभी सोचा है कि जब दुनिया में मधुमक्खियां या भंवरें नहीं थे तब फूल कैसे खिलते थे? सिडनी के रिर्सचर्स ने अब इस सवाल का जवाब दिया है.
New Research on Flowers: पौधे पृथ्वी पर फूलों के खिलने से सैकड़ों-लाखों साल पहले से मौजूद थे जबकि 14 करोड़ साल पहले फूलों के पौधे विकसित हुए हैं. ऐसे में एक सवाल बनता है, इस वक्त में तो मधुमक्खियां नहीं थीं, तब फूल कैसे खिलते थे. सवाल यह है कि इन पहले फूलों वाले पौधों को किसने परागित किया होगा. दूसरा सवाल ये है कि आज हम जितने भी फूलों को देखते हैं, उनके पूर्वज कौन हैं? तीसरा सवाल ये है कि क्या यह कीड़े थे, जो उन शुरुआती फूलों के बीच पराग ले गए? शायद अन्य जानवर, या हवा या पानी ने यह काम किया था?
न्यू फाइटोलॉजिस्ट में प्रकाशित हुआ लेख
इन सवालों का जवाब देना आसान नहीं है लेकिन न्यू फाइटोलॉजिस्ट में प्रकाशित एक रिसर्च में माना गया कि परागण की सबसे ज्यादा संभावना कीड़ों द्वारा हो सकती है. अनुमान लगाया जाता है कि पूरे इतिहास में लगभग 86 फीसदी फूल पौधों की प्रजातियों का परागण कीड़ों द्वारा हुआ है. आपको बता दें कि 90 फीसदी आधुनिक पौधे यानी लगभग 3 लाख से 4 लाख प्रजातियां फूल वाले पौधे हैं, जिसे वैज्ञानिक एंजियोस्पर्म कहते हैं. रिसर्चर ने अपनी खोज में पाया है कि 14 करोड़ 50 लाख साल पहले फूलों के पौधों का विकास हुआ. मधुमक्खियां और इनसे समानता रखने वाले दूसरे जीवों का विकास काल इसके बाद का रहा है.
पहला परागण किस प्रकार के कीट ने किया?
अगर आप परागण करने वाले कीट के बारे में सोचते हैं, तो आप शायद मधुमक्खी की कल्पना करते होंगे लेकिन वे मधुमक्खियां नहीं थीं. रिसर्चर्स की मानें तो मधुमक्खियां पहले फूलों के आने तक विकसित नहीं हुई थीं. कुछ शुरुआती फूलों को जीवाश्म के रूप में संरक्षित किया गया है और इनमें से अधिकतर बहुत छोटे हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि इन फूलों में घूमने के लिए पहले फूल परागणकर्ता भी काफी छोटे रहे होंगे. सबसे संभावित वाहक किसी प्रकार की छोटी मक्खी या भृंग हो सकते हैं या शायद एक मिज भी. इसके अलावा कुछ विलुप्त प्रकार के कीड़े जो लंबे समय से गायब हैं. हालांकि इस पर अभी और शोध की जरूरत है.
(इनपुट: एजेंसी)