Karachi Ancient Idol: दिल्ली में एक खास मंदिर के बारे में अच्छी खबर आई है. ये मंदिर पाकिस्तान के कराची से लाई गई एक मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है, और यहां दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. इस मंदिर को बिरला मंदिर के नाम से जाना जाता है, जो सुबह साढ़े 5 बजे से दोपहर साढ़े 12 बजे तक और शाम 4 बजे से रात 9 बजे तक दर्शन के लिए खुला रहता है. शांत वातावरण और समृद्ध इतिहास इसे घूमने के लिए एक शानदार जगह बनाते हैं.


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कराची से लाई गई प्राचीन मूर्ति


दिल्ली अपने ऐतिहासिक मंदिरों के लिए तो मशहूर है ही, लेकिन साउथ दिल्ली के बीचोबीच स्थित बिरला मंदिर अपनी खासियत के लिए जाना जाता है. ये इतिहास और धर्म का अद्भुत संगम है. ये अपनी अनोखी बनावट की वजह से पर्यटकों को खूब आकर्षित करता है. इस मंदिर में पारंपरिक हिंदू शैली और आधुनिक डिजाइन का खूबसूरत मिश्रण देखने को मिलता है. मंदिर का ऊपरी हिस्सा दूसरे बिरला मंदिरों की तरह का है, जबकि नीचे का हिस्सा साउथ दिल्ली के मंदिरों की स्थापत्य कला को दर्शाता है.


पाकिस्तान से लाकर साउथ दिल्ली में रखा


मंदिर में रखी मूर्ति भारत की नहीं है, बल्कि इसे पाकिस्तान के कराची से लाया गया था. दक्षिण दिल्ली के मालवीय नगर में स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर में दर्शन और आरती के लिए बड़ी संख्या में भक्त आते हैं. मंदिर के ट्रस्टी नरेंद्र चित्रा ने मीडिया को बताया कि इस मंदिर की नींव 8 नवंबर 1955 को रखी गई थी. उन्होंने बताया कि इस मंदिर को बनाने के लिए स्थानीय समुदाय एकजुट हुआ, जिससे लोगों के सामूहिक प्रयास और समर्पण को दिखाया जाता है.


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मंदिर के ट्रस्टी नरेंद्र चित्रा कही ऐसी बात


मंदिर के ट्रस्टी नरेंद्र चित्रा इस बात पर जोर देते हैं कि यहां की लक्ष्मी-नारायण की मूर्ति ना सिर्फ खास है बल्कि काफी पुरानी भी है. ये मूर्ति भारत लाने का किस्सा श्रद्धा और समर्पण की कहानी है. पाकिस्तान के कराची में खुदी नाम के गांव से मंदिर के महंत इसे लाए थे और इस मंदिर में स्थापित किया था. ये कहानी इस मंदिर को ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण बनाती है.


इस लक्ष्मी-नारायण मूर्ति के अलावा मंदिर में और भी देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं, जिन्हें राजस्थान के जयपुर के कुशल कलाकारों ने बनाया है. ये मूर्तियां भारत की विविध संस्कृति और धार्मिक परंपराओं को दर्शाती हैं, जो मंदिर की खूबसूरती को और बढ़ा देती हैं. साउथ दिल्ली का ये बिरला मंदिर सिर्फ पूजा का स्थान नहीं है, बल्कि ये सांस्कृतिक विरासत और शानदार वास्तुकला का भी प्रतीक है. ये मंदिर श्रद्धालुओं और पर्यटकों को अपनी ओर खींचता रहता है, और भारत की समृद्ध आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परंपरा की झलक दिखाता है.