Kargil Vijay Diwas: भारत-पाकिस्तान के बीच कारगिल पहाड़ियों में तीन महीने तक चले भयंकर युद्ध में भारतीय सैनिकों ने विजय हासिल की. भारतीय सैनिकों ने कारगिल की चोटी पर तिरंगा फहराकर अपने अदम्य साहस और बहादुरी का परिचय दिया था. कारगिल युद्ध भारतीय रणबांकुरे सैनिकों के अदम्‍य साहस और बहादुरी का प्रतीक है इसलिए इसे 'ऑपरेशन विजय' का नाम दिया गया. इस युद्ध में भारतीय वीर सैनिकों ने पाकिस्‍तान की सेना को मुंहतोड़ दिया. भारतीय सेना ने तिरंगा फहराकर युद्ध में विजय हासिल की. लेकिन इस फतेह के लिए हमारे बहादुर सैनिकों ने देश की रक्षा के लिए प्राणों की कुर्बानी देकर हमेशा के लिए अजर-अमर हो गए.


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चलिए जानते हैं उस रणबांकुर के बारे में जिन्होंने देश के लिए लड़ते-लड़ते अपनी जान गंवा दी. उनका नाम है शहीद विनोद कुमार नागा...


शहीद विनोद कुमार नागा का किस्सा


शहीद विनोद कुमार सीकर के ही रामपुरा गांव के रहने वाले थे. उनका जन्म भी यहीं हुआ. सन् 1994 में सेना में भर्ती हुए. 1996 में उनकी शादी हुई. 1999 में कारगिल युद्ध में 30 मई को वह देश की हिफाजत करते हुए शहीद हो गए. 15 जुलाई को उनके पार्थिव देह उनके घर पर आई. भले ही आज वह इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी पत्नी हर एक त्योहार को सुहागन की तरह ही मनाती हैं. पति को शादी के 3 साल बाद ही खोने का दर्द तो हमेशा रहेगा लेकिन इस बात की खुशी या गर्व हमेशा रहेगा कि उसके पति देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए.


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शहीद विनोद की पत्नी ने क्या कहा?


शहीद विनोद कुमार की पत्नी सुभीता बताती है कि उनके पति 1994 में सेवा में भर्ती हुए. 1996 में उनकी शादी हुई. 1999 में कारगिल युद्ध में 30 मई को वह देश की हिफाजत करते हुए शहीद हो गए. 15 जुलाई को उनके पार्थिव देह हमारे घर पर आई. भले ही आज मेरे पति शहीद हो गए हो लेकिन मैं हर एक त्योहार सुहागन की तरह ही मनाती हूं. पति को शादी के 3 साल बाद ही खोने का दर्द तो हमेशा रहेगा लेकिन इस बात की खुशी या गर्व हमेशा रहेगा कि मेरे पति देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए. 


भतीजी ने क्या कहा?


शहीद विनोद कुमार नागा की भतीजी आकांक्षा नागा ने बताया कि आतंकवाद को खत्म किया जाए और पाकिस्तान-आतंकवादियों को मुंहतोड़ जवाब दिया जाए ताकि कोई भारत की तरफ बुरी आंख उठा नहीं देख सके.