Kela Tedha Kyon Hota Hai: केला एक ऐसा फल है, जो साल के 12 महीने हर सीजन में खाने को मिल जाता है. एनर्जी से भरपूर केले में फाइबर प्रचुर मात्रा में मिलता है, जिससे पेट का पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है. इसका दाम भी हर किसी के बजट के अंदर होता है, जिसके चलते इसे हर कोई खा सकता है. कई लोग केले को ऐसे ही खा लेते हैं तो कई लोग उसका शेक बनाकर पीते हैं. दर्जनों बार केला खाने के बावजूद क्या आपने कभी सोचा है कि उसका आकार टेढ़ा ही क्यों होता है. कोई भी केला आपको सीधा क्यों नहीं मिलता. इसके पीछे एक बड़ा वैज्ञानिक कारण है, जिसके बारे में आपको जानना चाहिए. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

शुरुआत में सीधा होता है केला


असल में जब पेड़ पर केला लगना शुरू होता है तो वह एक गुच्छे के रूप में होता है. यह गुच्छा धीरे-धीरे जमीन की ओर नीचे लटकना शुरू कर देता है. उस वक्त तक केले का आकार सीधा ही होता है लेकिन विज्ञान में Negative Geotropism नाम की पेड़ों की एक प्रवृति का उल्लेख किया गया है. इस प्रवृति की वजह से पेड़ या उसके फल-पत्ते थोड़े से बड़े होने पर सूरज की ओर बढ़ना शुरू कर देते हैं. यह प्रवृति केले के साथ भी होती है, जिसके प्रभाव की वजह से केला धीरे-धीरे घूमकर ऊपर की ओर उठना शुरू हो जाता है. इसके चलते केले का आकार टेढ़ा (Kela Tedha Kyon Hota Hai) होना शुरू हो जाता है. 


इस वजह से होने लगता है टेढ़ा


वनस्पति वैज्ञानिकों के मुताबिक दुनिया में केले का पेड़ सबसे पहले बरसाती वनों (Rain Forest) में पैदा हुआ था. उन वनों में सूरज की रोशनी ढंग से नहीं पहुंच पाती थी. जिसके चलते केले के शुरुआती पेड़ों को सूरज की रोशनी हासिल करने के लिए ऊपर की उठना पड़ा. इसका असर उसके आकार पर पड़ा और वह टेढ़ा (Kela Tedha Kyon Hota Hai) हो गया. बाद में जहां-जहां भी केले के पेड़ लगाए गए. वहां पर केले की यह प्रवृति उनके साथ ही बढ़ती चली गई, यही वजह है कि हमें केले का आकार टेढ़ा दिखता है. 


मलेशिया के वर्षा वनों में हुई उत्पत्ति


केले की उत्पत्ति कब और कहां हुई, इसके बारे में कोई पक्की जानकारी किसी के पास नहीं है. हालांकि मान्यता है कि करीब 4 हजार साल पहले मलेशिया के वर्षा वनों में केले के पेड़ उगे थे. इसके बाद जब जंगल में गए मानवों को केले के बारे में पता चला तो यह फल और पेड़ दुनियाभर में फैलता चला गया. अब यह फल भारत, मलेशिया समेत दुनिया के करीब डेढ़ सौ देशों में पाया जाता है. इसका उत्पादन करके दुनिया में लाखों किसान अपनी आजीविका चला रहे हैं. 


ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले ताज़ा ख़बर अभी पढ़ें सिर्फ़ Zee News Hindi पर| आज की ताजा ख़बर, लाइव न्यूज अपडेट, सबसे ज़्यादा पढ़ी जाने वाली सबसे भरोसेमंद हिंदी न्यूज़ वेबसाइट Zee News हिंदी