Knowledge News: 15 अगस्त, 26 जनवरी और होली जैसे राष्ट्रीय पर्वों पर अक्सर हम देखते हैं कि अगले दिन हमारे घरों में अखबार नहीं आते. क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? आइए जानते हैं इस रहस्य के पीछे की कहानी. दरअसल, अखबार में सारा मामला हॉकर पर आकर फंस जाता है. हॉकर और प्रिंटिंग मशीन में काम करने वाले कर्मचारियों ने पुरानी परंपरा बना रखी है और वह इन तारीखों पर अखबार नहीं बांटते न ही काम करते हैं और छुट्टी लेते हैं. यही वजह है कि अखबार छपने का कोई फायदा ही नहीं. एक दो बार कोशिश भी की गई लेकिन अखबार रद्दी में चले गए. 


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क्यों गायब हो जाते हैं अखबार?


दरअसल, 15 अगस्त, 26 जनवरी या होली के अगले दिन अखबार घरों में नहीं पहुंचने के पीछे कुछ अलग ही कारण है. अखबार वितरित करने वाले हॉकरों और प्रिंटिंग मशीनों पर काम करने वाले कर्मचारियों की पुरानी परंपरा में छिपी है. इन छुट्टियों पर ये लोग अवकाश लेते हैं और अखबार बांटने या छापने का काम नहीं करते हैं. 


क्यों लेते हैं छुट्टी?


पूरे साल लगातर निरंतर अखबार बांटने वाले लोग रोज तड़के 2-3 या 4 बजे से ही पेपर को अलग-अलग हिस्सों में भेजने के लिए तैयार करते हैं और फिर अखबार पहुंचाने वाले लोग रोजाना यह कर-करके थक जाते हैं तो ऐसे मौके पर वह छुट्टी लेने की कोशिश करते हैं. हॉकर और प्रिंटिंग कर्मचारी भी अपने परिवारों के साथ समय बिताना चाहते हैं. लगातार काम करने के बाद ये लोग इन छुट्टियों को आराम करने के लिए एक अवसर के रूप में देखते हैं.


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अखबारों की क्या होती है हालत?


जब हॉकर और प्रिंटिंग कर्मचारी छुट्टी पर होते हैं तो अखबारों का छपना और वितरण बाधित हो जाता है. कई बार अखबारों को छापने का प्रयास किया जाता है, लेकिन जब कोई उन्हें बांटने वाला नहीं होता तो ये अखबार बेकार चले जाते हैं.


क्यों नहीं बदलती स्थिति?


यह परंपरा कई सालों से चली आ रही है और इसे बदलना आसान नहीं है. अखबार उद्योग में श्रमिकों की कमी है. ऐसे में अगर कुछ कर्मचारी छुट्टी पर जाते हैं तो काम प्रभावित होता है. आजकल लोग समाचारों के लिए अखबारों के बजाय ऑनलाइन माध्यमों पर ज्यादा निर्भर हैं. इसलिए अखबारों को इन त्योहारों पर छापने की आवश्यकता कम महसूस होती है.