Prayagraj kumbh mela 1954: प्रयागराज यानी कि इलाहाबाद में साल 2025 में महाकुंभ मेले की तैयारियां जोरों पर हैं. कुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला माना जाता है. इस मेले में न सिर्फ भारत के, बल्कि दुनियाभर के हिंदू श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं. इसके अलावा, अन्य धर्मों के लोग भी इस मेले की भव्यता और रौनक देखने के लिए आते हैं.  2025 में महाकुंभ मेला 13 जनवरी से शुरू होगा और 26 फरवरी को अंतिम शाही स्नान के साथ समाप्त होगा.


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इलाहाबाद के त्रिवेणी संगम पर होने वाला कुंभ मेला हर भक्त के लिए एक अद्भुत और पुण्य प्राप्ति का अनुभव होता है, जहां वे पवित्र नदियों में स्नान करते हैं. करीब 70 साल पहले, त्रिवेणी संगम पर आज़ाद भारत का पहला कुंभ मेला आयोजित हुआ था. उस समय का नजारा भी काफी अलग था, क्योंकि तब तकनीकी सुविधाओं की कमी थी और मेला प्रबंधन अब जैसे व्यवस्थित नहीं था.  उस कुंभ में हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे, लेकिन उस समय बहुत कम सुविधाएं और संसाधन थे. लोग खुली जगहों पर रुके थे और संगम के किनारे पर एकत्रित होते थे.


आजाद भारत का पहला कुंभ


इंस्टाग्राम पर पंडित सूरज पांडे ने 1954 के पहले कुंभ का वीडियो शेयर किया है. यह कुंभ मेला प्रयागराज के त्रिवेणी संगम पर आज़ाद भारत में पहली बार आयोजित हुआ था. इस कुंभ को सफल बनाने के लिए यूपी सरकार और भारत सरकार दोनों ने अपनी पूरी ताकत झोंकी थी. उस समय मेले का नजारा भी बेहद अद्भुत था.  


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मेले में करीब एक करोड़ भक्त जुटे थे


इस कुंभ मेले में शामिल होने के लिए कुछ अखाड़े हाथियों पर सवार होकर पहुंचे थे, और उनके बीच हाथियों की सवारी शान से गुजर रही थी. मेले में करीब एक करोड़ भक्त जुटे थे. सुरक्षा और व्यवस्था की जिम्मेदारी संभाल रही पुलिस घोड़ों पर सवार होकर पूरे मेले में गश्त कर रही थी. यह दृश्य उस समय की भव्यता और धार्मिक आस्था का प्रतीक था.


PM और CM ने लिया जायजा


1954 के कुंभ मेले में भक्तों के इलाज का भी खास बंदोबस्त किया गया था. सभी भक्तों को मेले में प्रवेश करने से पहले टीके लगाए गए थे, ताकि स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या न हो. इसके अलावा, सेना के जवानों ने अपने हाथों से पुल का निर्माण किया था, ताकि एक ही जगह पर ज्यादा भीड़ न हो और लोगों को सुरक्षित तरीके से पूजा करने की सुविधा मिल सके. बुलडोजरों की मदद से गंगा के किनारों को समतल किया गया था, ताकि भक्तों को गंगा नदी में आसानी से डुबकी लगाने में कोई परेशानी न हो. तत्कालीन मुख्यमंत्री गोविंद वल्लभ पंथ ने नाव की सवारी करते हुए पूरे क्षेत्र का मुआयना किया. इसके अलावा, देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू भी कुंभ मेला देखने खुद वहां पहुंचे थे, ताकि मेले की तैयारियों और व्यवस्था का जायजा ले सकें.