Amazing Science Facts: कबूतरों के जरिए भेजते थे चिट्ठियां, किसी और पक्षी पर क्यों नहीं किया जाता था भरोसा?
Science Logic: पहले के दौर में लोग कबूतर के जरिए अपना संदेश अपने चाहने वालों को भेजते थे. यह एक लंबी प्रक्रिया है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस काम के लिए कबूतर का ही इस्तेमाल क्यों किया जाता था.
Science Logic: एक दौर था जब लोग अपने दूरदराज के रिश्तेदारों का हालचाल चिट्ठी के जरिए लिया करते थे. उस समय लोग कबूतर के जरिए अपना संदेश अपने चाहने वालों को भेजते थे. यह एक लंबी प्रक्रिया है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस काम के लिए कबूतर का ही इस्तेमाल क्यों किया जाता था. जबकि हवा में उड़ान तो तमाम पक्षी भरते हैं, लेकिन चिट्ठी सिर्फ कबूतर के जरिए ही क्यों?
इसके पीछे है बड़ा वैज्ञानिक कारण
दरअसल, चिट्ठियां पहुंचाने के लिए कबूतर के इस्तेमाल के पीछे एक बहुत बड़ा वैज्ञानिक कारण है. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि कबूतर के शरीर में ऐसी एक फंक्शनैलिटी है जो कि उसके लिए जीपीएस की तरह काम करता है. यही वजह है कि कबूतर कभी अपना रास्ता नहीं भूलता है.
कभी रास्ता नहीं भूलते कबूतर
वैज्ञानिकों का तो यहां तक मानना है कि कबूतरों में रास्ता खोजने के लिए मैग्नेटो रिसेप्शन स्किल भी पाई जाती है. ऐसे में कबूतर अपनी मंजिल आसानी से ढूंढ लेते हैं. इसके अलावा कबूतर में 53 विशिष्ट कोशिकाएं पाई जाती हैं, जो उसके लिए दिशा सूचक का काम करती हैं.
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कबूतर में हैं ये खासियतें
आपको बता दें कि कबूतर की आंखों की रेटिना में खास तरीके का प्रोटीन भी पाया जाता है. यही सबसे प्रमुख कारण है कि पहले के जमाने में चिट्ठियां पहुंचाने के लिए सिर्फ कबूतर का ही इस्तेमाल किया जाता था, किसी और पक्षी का नहीं.
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