Trending News: नवरात्रि के दिनों में भक्तों की भीड़ हर जगह देखने को मिलती है. इन दिनों बड़े ही धूम के साथ माता का आशीर्वाद लेने के लिए लोगों में बड़ा उत्साह दिखाई दे रहा है. बीकानेर के पास देशनोक में भी विश्व प्रसिद्ध करणी माता के मंदिर में भक्तों का हुजूम उमड़ रहा है. चूहों वाले मंदिर के नाम से पूरी दुनिया में मशहूर इस मंदिर के बारे में यह मान्यता है कि यहां आने वाले हर भक्त की कामना करणी माता पूरी करती हैं. चूहों वाली माता या करणी माता के नाम से मशहूर ये मंदिर तकरीबन पांच सौ साल पुराना है. इसके पीछे मान्यता है कि जब देश में प्लेग जैसी बीमारी फैली और उसके साथ अकाल का सामना करना पड़ा.


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पांच सौ पुरानी मंदिर के लाखों भक्त


ऐसी मान्यता है कि बीमारी फैलने के बाद अकाल पड़ा तो करणी माता ने अपने प्रताप से प्लेग नाम की बीमारी का नाश किया और अकाल जैसी विभीषिका को भी खत्म कर दिया. हर आपदा को खत्म करने वाली देवी का नाम करणी माता है. करणी माता के इस मंदिर का पूरा प्रबंधन उन्हीं के वंशज संभालते हैं जो चारण कहलाते हैं. करणी माता के मंदिर में हर जगह चूहे घूमते हुए नजर आते हैं. इसके पीछे मान्यता है कि ये चूहे करणी माता के वंशज हैं और मरने के बाद भी इन्हें यमराज नहीं ले जाते बल्कि चूहों के रूप में माता की सेवा में ही रहते हैं. ये चूहे काबा कहलाते हैं.


प्रसाद का पहला भोग चूहों के लिए


मंदिर में बनने वाले प्रसाद का भोग माता को लगाने के बाद पहला हक इन चूहों का माना जाता है और इनके ग्रहण करने के बाद वही प्रसाद भक्तों में बांटा जाता है. पूरे मंदिर की व्यवस्था संभालने वाले माता के वंशज चारण कहलाते हैं और सारी व्यवस्था वो ही देखते हैं. करणी माता के मंदिर में ना सिर्फ स्थानीय और आसपास के लोग सेवा देते हैं बल्कि दर्शनों के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. सभी का यह मानना है कि माता की जिस पर कृपा हो जाए वो ही यहां आ सकता है. यहां जिस मकसद से जो भक्त आता है माता उसकी हर कामना पूरी करती है, जिसे अपने दरबार में बुलाना होता है माता उसे अपनी शक्ति से खींच कर बुला लेती है.


रिपोर्ट: रौनक व्यास