Kinnar Facts: कैसे होता है किन्नरों का अंतिम संस्कार? जानिए मौत के बाद भी दर्द मिलने की वजह
किसी सदस्य की मौत के बाद किन्नर समाज (Third Gender Society) उसका मातम नहीं मनाता क्योंकि उनका मानना है कि मृतक किन्नर को नरकीय जीवन से मुक्ति मिल गई. किन्नर बहुचरा माता की पूजा करते हैं और प्रार्थना करते हैं कि अगले जन्म में वे किन्नर के रूप में न पैदा हों. जानिए किन्नर समाज के अंतिम संस्कार से जुड़ी बातें (Kinnar Facts).
किन्नरों की दर्दनाक यात्रा
किन्नरों के बारे में सभी जानना चाहते हैं. किन्नरों से जुड़ी ऐसी कई बातें हैं, जिन्हें शायद आप नहीं जानते होंगे. किन्नरों की छठी इंद्रीय काफी तेज होती है, इन्हें आगे होने वाली घटनाओं का आभास हो जाता है.
मौत का हो जाता है आभास
किन्नरों को पहले ही पता चल जाता है कि उनकी मौत होने वाली है. ऐसे कई सारे प्रमाण दुनिया भर से सामने आए हैं.
किन्नरों को होता है आभास
जब किसी किन्नर की मौत होने वाली है तो वे अजीब सा व्यवहार करना शुरू कर देते हैं. वे कहीं बाहर आना-जाना और खाना बंद कर देते हैं. इस समय में वे केवल पानी पीते हैं. इसके साथ ही ईश्वर सेप्रार्थना करते हैं कि वे अगले जन्म में किन्नर न बनें.
आत्मा को आजाद करने की प्रक्रिया
किन्नरों के शव को दफनाया जाता है लेकिन उससे पहले आत्मा को आजाद करने की प्रक्रिया (Soul Liberation Process) की जाती है. इसके लिए शव को सफेद कपड़े में लपेटा जाता है. हर तरह के बंधन से मुक्त करने के लिए उनके शव पर कुछ नहीं बांधा जाता.
इस वजह से रात में करते हैं अंतिम संस्कार
ऐसी कोशिश की जाती है कि मृत किन्नर के शरीर को समुदाय के बाहर का व्यक्ति न देखे. वे मानते हैं कि अगर किन्नर के शरीर को किसी आम जन ने देखा तो वो दिवंगत किन्नर फिर से किन्नर योनि में ही जन्म लेगा. यही वजह है कि इनके अंतिम संस्कार के सभी रिवाज रात में ही पूरे किए जाते हैं.
जूते-चप्पलों से पीटते हैं डेड बॉडी
किन्नर समुदाय के लोग शव यात्रा निकालने से पहले शव को जूते-चप्पलों से पीटते हैं ताकि अगले जन्म में वह फिर से किन्नर न बने. वे प्रार्थना करते हैं कि इस जन्म से शव को मुक्ति मिले.
मातम की परंपरा नहीं
किन्नर की मौत के बाद किन्नर समाज उसका मातम नहीं मनाता क्योंकि उसका मानना है कि मृतक किन्नर को नरकीय जीवन से मुक्ति मिल गई है. किन्नर बहुचरा माता की पूजा करते हैं और प्रार्थना करते हैं कि अगले जन्म में वे किन्नर के रूप में न पैदा हों.