भारत का रहस्यमयी मंदिर, भगवान शिव ने श्राप देकर 1 करोड़ देवताओं को बना दिया था पत्थर!

भारत में करोड़ों की संख्या में मंदिर हैं, लेकिन क्या आपने किसी ऐसे मंदिर (Unakoti Temple Mystery) के बारे में सुना है जहां 99 लाख 99 हजार 999 मूर्तियां हैं.

ज़ी न्यूज़ डेस्क Sun, 28 Nov 2021-1:57 pm,
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इस वजह से पड़ा उनाकोटी नाम

हम जिस मंदिर की बात कर रहे हैं वह त्रिपुरा की राजधानी अगरतला के पास है. इस मंदिर का नाम उनाकोटी है. इस मंदिर की यह गुत्‍थी आज भी वैज्ञानिक सुलझा नहीं पाए हैं कि मंदिर में एक करोड़ से एक मूर्ति कम क्यों है? मूर्तियों की रहस्यमयी संख्‍या की वजह से ही इसका नाम उनाकोटी पड़ा है. इसका अर्थ होता है एक करोड़ में से एक कम.

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नहीं सुलझ पाया 99 लाख 99 हजार 999 मूर्तियों का रहस्य

यह मंदिर बहुत ही खास है. उनाकोटी मंदिर अगरतला से करीब 145 किलोमीटर दूर स्थित है. आज तक इन 99 लाख 99 हजार 999 पत्थर की मूर्तियों का रहस्य सुलझ नहीं पाया है. आज तक यह भी पता नहीं चल पाया है कि ये मूर्तियां किसने और क्यों बनाई हैं? इसके अलावा यह भी पता नहीं चल पाया है कि ये मूर्तियां कब बनाई गई हैं.

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भोलेनाथ ने द‍िया था श्राप

इस मंद‍िर को लेकर कई पौराणिक कथाएं मिलती हैं. मंदिर में पत्थरों को काटकर मूर्तियां उकेरी गई हैं. पौराणिक कथा के अनुसार,  एक बार भगवान शंकर समेत एक करोड़ देवी-देवता उनके साथ कहीं जा रहे थे. इस दौरान यहां रात होने की वजह से सारे लोग उनाकोटी में विश्राम करने लगे. हालांकि शंकर भगवान ने सभी देवी-देवताओं से यह कहा था कि सूर्योदय से पहले यह स्थान छोड़ना होगा. लेकिन सूर्योदय के समय सिर्फ भगवान शिव ही जाग पाए और बाकी सभी देवी-देवता सोते रहे. यह देख भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने श्राप देकर सारे देवी-देवताओं को पत्थर का बना दिया.

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रात भर में एक करोड़ मूर्ति नहीं बना पाया था शिल्पकार

इस मंदिर को लेकर एक और पौराणिक कथा सुनने को मिलती है. कालू नामक एक शिल्पकार भगवान शंकर तथा माता पार्वती के साथ कैलाश पर्वत जाने की इच्छा रखता था. शिल्पकार की जिद की वजह से शंकर भगवान ने उससे रातभर में एक करोड़ देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाने को कहा था. शिल्पकार रात भर मूर्तियां बनाता रहा लेकिन सुबह गिनती में एक मूर्ति कम निकली. इस कारण भगवान शिव उस शिल्पकार को अपने साथ नहीं ले गए. 

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चारों तरफ हैं घने जंगल

उनाकोटी मंदिर एक पहाड़ी इलाके पर है. इसके चारों तरफ दूर-दूर तक घने जंगल हैं. यह दलदली इलाका है. आज तक पता नहीं चल सका है कि जंगल के बीच लाखों मूर्तियों का निर्माण कैसे हो गया. अगर इतनी सारी मूर्तियां बनानी होंगी तो इसमें सालों लग जाते. इसके अलावा यहां के आसपास दलदल होने की वजह से कोई रहता भी नहीं था.

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