Trending Video: जहां राह मुश्किल हो जाती है, वहां हिमाचल प्रदेश की इस एनर्जेटिक महिला आईएएस अधिकारी से प्रेरणा लेना जरूरी है क्योंकि उन्होंने पुरुषों के गढ़ में घुसकर आगे बढ़कर दिखाया है. हालांकि, इसके लिए उन्हें लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी. 2019 बैच की आईएएस अधिकारी रितिका जिंदल (Ritika Jindal) अपनी दूसरी पोस्टिंग में एक ऐसी जगह का चयन कर रही हैं, जहां उनके पुरुष समकक्ष भी समय बिताने से कतराते हैं. तहसीलदार के रूप में अपनी ट्रेनी पोस्टिंग के दौरान हिमाचल प्रदेश के सोलन शहर के एक देवी मंदिर में लैंगिक भेदभाव से लड़ने वाली रितिका जिंदल ने रेजिडेंट कमिश्नर के रूप में चंबा जिले की पांगी घाटी को चुना है. वह पांगी में बैठने वाली पहली महिला अधिकारी हैं.


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कठिन परिस्थिति में भी कर सकती हैं सामना


इससे पहले, एक महिला अधिकारी पांगी में तैनात थीं, लेकिन उन्होंने हिमालय के पीर-पंजाल रेंज में 14,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित मुख्यालय किलार में कार्यालय संभालने के बजाय जिला मुख्यालय चंबा से संचालन किया. जम्मू और कश्मीर की सीमा से लगे पांगी को कभी खतरनाक सड़कों और दुर्गम बस्तियों के कारण हिमाचल प्रदेश के 'काला पानी' के रूप में जाना जाता था. साल भर सड़क मार्ग से सुलभ नहीं होने के कारण, भारी बर्फबारी के कारण सुरम्य पांगी घाटी साल में छह महीने से अधिक समय तक दुनिया से कटी रहती है.


आईएएस ऑफिसर ने बात करके कही ये बात


ऋतिका ने मीडिया को बताया, "मैं कभी भी पांगी और यहां तक कि चंबा जिले में भी नहीं गई. कार्मिक विभाग ने मुझसे पांगी में मेरी अगली पोस्टिंग के बारे में पूछताछ की और मैंने तुरंत जवाब दिया कि मैं वहां काम करने को तैयार हूं." उन्होंने आगे कहा, "मैं वहां काम करने के लिए उत्साहित हूं. मैंने पांगी की कठिन स्थलाकृति और कठोर मौसम की स्थिति के बारे में सुना है. कोई समस्या नहीं है, मौसम की स्थिति के अनुसार वहां एडजस्ट कर लेंगे. हम ऑल इंडिया सर्विसेज के अधिकारी हैं और अगर सरकार मेरा उपयोग करना चाहती है नागालैंड या अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के सुदूर कोनों में सेवाएं, हमें ना नहीं कहना चाहिए और वहां जाकर काम करना चाहिए."


'हवन' में पुजारियों को भी समानता का पाठ पढ़ाया


अक्टूबर 2020 में अपने लिंग के आधार पर शूलिनी मंदिर में एक 'हवन' में भाग लेने से इनकार करने वाली रितिका ने बताया कि वह पांगी में काम करने के लिए बहुत उत्साहित हैं. शूलिनी मंदिर में सदियों पुरानी संकीर्ण परंपरा है कि केवल पुरुष ही हवन में शामिल हो सकते हैं. उन्होंने 'हवन' में भाग लेकर पुजारियों को समानता का पाठ भी पढ़ाया. पंजाब के मोगा शहर में जन्मी और पली-बढ़ी ऋतिका ने बेहद ही मेहनती हैं. हर परिस्थिति में लड़ने को तैयार रहती हैं.