Delhi Zoo Elephant News: आजकल एक खबर चर्चा में बनी हुई है जिसके मुताबिक, दिल्ली चिड़ियाघर में रहने वाला दक्षिण अफ्रीकी हाथी मानसिक रूप से बीमार हो गया है और इसकी वजह है यहां पर उसका अकेला होना. इसके चर्चा में होने की वजह यह भी है कि यह कोई आम हाथी नहीं है, बल्कि यह साल 1998 में भारत को जिम्बाब्वे की ओर से तोहफे में मिला था. बता दें कि इस हाथी का नाम पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा के नाम पर रखा गया था. 'शंकर' के साथ उसकी मादा साथी 'बॉम्बेई' भी आई थी. लेकिन साल 2005 में 'बॉम्बेई' की मौत हो गई और उसके बाद से 'शंकर' अकेला हो गया. 


अदालत में दायर की गई याचिका


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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अकेलेपन से जूझ रहे इस हाथी का चिड़ियाघर में न तो कोई दूसरा साथी है और न ही उसका कुछ खास ख्याल रखा जा रहा है. इसकी वजह से हाथी मानसिक तनाव में है. इसको लेकर एक्टिविस्ट निकिता धवन ने अदालत में एक याचिका दायर की थी. इस याचिका में उन्होंने आरोप लगाया कि हाथी के साथ चिड़ियाघर में अच्छा व्यवहार नहीं होता, उसे अक्सर पीटा जाता है. इतना ही नहीं, उसे दिन में 17 घंटे जंजीर से बांधकर रखा जाता और उसे पर्याप्त जगह भी नहीं दी गई है जहां वह घूम सके.  


तनावग्रस्त है हाथी


वहीं, धवन के वकील धनंजय ग्रोवर ने कहा कि हाथी की मेडिकल जांच से पता चलता है कि वह ठीक नहीं है. उसका व्यवहार असामान्य है और वह तनावग्रस्त है. उन्होंने आगे कहा कि अमूमन अफ्रीकी हाथी को रहने के लिए 20 से 50 किलोमीटर जमीन चाहिए होती है. लेकिन इस हाथी के लिए महज 4930 वर्गमीटर जमीन दी गई है. धवन की ओर से दी गई याचिका में कई पशु चिकित्सकों के हलफनामे भी शामिल हैं.


अदालत ने कही ये बात


इस याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने प्रतिवादियों से पूछा कि क्या हाथी को अभ्यारण्य में भेजा जाए या उसके लिए एक साथी ढूढ़ा जाए. साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि यह हमारी संपत्ति है, चिंता न करें, हम इसकी ठीक से देखभाल करेंगे.


जू के अधिकारियों ने आरोपों को नकारा


इधर, दिल्ली चिड़ियाघर के अधिकारियों ने इन बातों को सिरे से खारिज कर दिया है. उनका कहना है कि केंद्रीय चिड़ियाघर की ओर से जारी सभी दिशानिर्देशों का पालन किया जाता है. साथ ही हाथी की नियमित स्वास्थ्य जांच भी कराई जाती है. 


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