Valentine's Day: 95 वर्षीय बुजुर्ग भोलानाथ आलोक अपनी पत्नी पद्मा से बेहद प्यार करते थे. एक रात को उनकी पत्नी ने उनसे आकर कहा कि आप मेरे बगल में सोइए, मैं सुहागन मरूंगी. वे पत्नी की इस बात को समझ नहीं सके कि आखिर इस तरह की बातें पद्मा क्यों कर रही है. उन्होंने जवाब दिया कि ऐसा कभी नहीं होगा, दोनों साथ जिएंगे और साथ मरेंगे. सुबह जब आंखें खुली तो पत्नी दुनिया को अलविदा कह चुकी थी. पत्नी की आकस्मिक मौत के बाद जैसे उनकी दुनिया ही उजड़ चुकी थी. लेकिन बच्चों के लिए उन्हें जीना था. भले ही वे एक साथ जी न सके. एक साथ मरे इसलिए पत्नी की अस्थियों को विसर्जित करने के बजाए पिछले 35 साल तक पत्नी की अस्थियों को उन्होंने संभालकर रखा, ताकि मौत के बाद दोनों एक साथ दुनिया से विदा हों जाए.


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पत्नी के प्रति ऐसा प्रेम, कभी नहीं सुना होगा आपने


भोलानाथ आलोक के दामाद अशोक सिंह बताते हैं कि भोलानाथ आलोक का पत्नी के प्रति प्रेम ऐसा था कि वे जब तक जीवित रहे पत्नी की अस्थियां संभाल कर अपने मकान के बाउंड्री के अंदर आम के पेड़ पर बांधकर रखे हुए थे और सिर्फ अपने मृत्यु का इंतजार कर रहे थे. पिछले साल जून में साहित्यकार भोलानाथ आलोक की तबियत बिगड़ी और फिर 95 वर्ष की उम्र में वे दुनिया छोड़कर चले गए. उनकी इच्छा के मुताबिक, मौत के बाद उनकी छाती पर पत्नी की अस्थि कलश रखकर उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई. वे कहते हैं बाबू जी हमेशा यह कहते थे कि अभी न सही लेकिन ऊपर जब 'पद्मा' से मिलूंगा तब यह तो बता सकूंगा कि मैंने अपना वादा निभाया.


दोनों की प्रेम कहानी सुनकर दंग रह जाते हैं लोग


अशोक कहते हैं कि जमाने के नजर में भले ही बाबू जी की मौत के साथ दोनों की प्रेम कहानी का अंत हो गया हो. मगर सच कहे तो इस प्रेम कहानी का नया अध्याय शुरू हो गया. बाबू जी की मौत के बाद उनकी व मां की अस्थियों को सम्मिश्रित कर हमने उसी आम के पेड़ पर बांधकर रख दिया, जहां बाबू ने मां की अस्थियों को रखा था. बाबू जी अब इस दुनिया में नहीं, मगर बाबू जी के उस परंपरा को अब हमने कायम रखा है. घर के सभी सदस्य इस स्थान पर मत्था टेक कर ही घर में आते हैं या फिर बाहर जाते हैं. अस्थियों की पोटली देखकर हमें महसूस होता है वे हमारे पास ही हैं और ये पवित्र प्रेम कहानी जैसे फिर से लिखी जा रही है.


पद्मा और भोलानाथ की प्रेम कहानी सुन लोग हुए इमोशनल


जब भी प्रेम का ये मौसम आएगा 'पद्मा और भोलानाथ' की कहानी जवां हो उठेगी. खास बातचीत में साहित्यकार गोविंद कहते हैं आज की युवा पीढ़ी वेलेंटाइन डे तो मनाती है लेकिन उन्हें सच्चा प्यार क्या होता है यह सीखना चाहिए. इस सामाजिक जीवन के उधेड़बुन में भी वे पत्नी पद्मा को नहीं भूले. पत्नी के साथ जी नहीं सके तो साथ मरने के लिए पत्नी की अस्थियों को संजोए रखा. उन्होंने नीचे तुलसी का पौधा लगा रखा था. वे प्रतिदिन पत्नी को याद करते थे और उनकी पूजा करते थे. भोलानाथ आलोक के नाती प्रिय आलोक बताते हैं कि उनके नाना जब तक जीवित रहे, पेड़ पर लगे अस्थि कलश को छूकर प्रणाम करते थे और उनकी पूजा करते थे. मेरे नाना हर प्रेमी जोड़े के लिए मिसाल है. प्रेम क्या है अगर इससे जानना हो, तो हर किसी को इनकी कहानी जननी चाहिए.


रिपोर्ट: मनोज कुमार


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