Golden Blood Group: स्कूल के दौरान हम सभी को ब्लड ग्रुप के बारे में पढ़ाया जाता है. आमतौर पर दुनिया में 8 तरह के ब्लड ग्रुप पाए जाते हैं जिनमें A, B, AB और O शामिल है. इन ब्लड ग्रुप को पॉजिटिव और नेगेटिव बांटा जा सकता है. आपको बता दें कि ब्लड हमारे शरीर में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड को कैरी करने का काम करते हैं. ये लग्स से ऑक्सीजन को हमारे शरीर के बाकी हिस्सों तक पहुंचाते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड को शरीर के बाकी सब हिस्से से लेकर लग्स में पहुंचाते हैं. इन आठों ब्लड के अलावा भी एक ब्लड ग्रुप ऐसा है जो दुनिया के चंद लोगों में पाया जाता है जो बहुत ही ज्यादा दुर्लभ होता है. ये ब्लड ग्रुप केवल उन लोगों में होता है जिनका Rh फैक्टर Null होता है. एक रिपोर्ट की मानें तो ये ब्लड दुनिया में केवल 45 लोगों के शरीर में बहता है.


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क्या है इस ब्लड की खासियत?


ग्रीस में ऐसा माना जाता है कि देवताओं के शरीर में सुनहरा खून बहता है. यह सुनहरा खून देवताओं को अमर बनाता है लेकिन अब इंसानों की बात आती है तो यह गोल्डन ब्लड उनके लिए नुकसानदेह साबित होता है. सबसे पहले इसका पता साल 1961 में लगाया गया था. ये ब्लड बाकी आम ब्लड ग्रुप से बेहद अलग होता है जिसकी वजह से इसे 'गोल्डन ब्लड' कहा गया है. हमें जब किसी बीमार व्यक्ति के लिए ब्लड की जरूरत होती है तब ब्लड बैंक में कोई साधारण खून देकर अपनी आवश्यकता के अनुसार ब्लड हासिल कर सकते हैं लेकिन जब गोल्डन ब्लड की बात आती है तो यह इतना ज्यादा रेयर है कि इसकी कीमत सोने से भी ज्यादा होती है.


क्यों होता है गोल्डेन ब्लड?


गोल्डन ब्लड का कारण एक्सपर्ट्स बताते हैं कि ये जेनेटिक म्यूटेशन की वजह से होता है और यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के लोगों में जाता है. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि इसकी दूसरी वजह करीबी रिश्ते में शादी भी है जिसकी वजह से गोल्डन ब्लड होने की संभावाना बढ़ जाती है. इसे लेकर 'नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन' में एक रिपोर्ट भी प्रकाशित की गई थी. इस ब्लड ग्रुप के लोगों को एनीमिया का खतरा ज्यादा रहता है. कई बार सुरक्षा की वजह से अगर ऐसे लोगों की पहचान होती भी है तो उसे उजागर नहीं किया जाता है.


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