Queen Elizabeth II Death News: महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन के कुछ घंटे बाद शंघाई के दक्षिण में स्थित एक कारखाने को भारी संख्या में ब्रिटिश झंडे की मांग आने लगी. शाओक्सिंग चुआंगडोंग टूर आर्टिकल्स कंपनी के 100 से अधिक कर्मचारियों ने अन्य कामों को अलग रखते हुए और सुबह साढ़े सात बजे से 14 घंटे तक लगतार ब्रिटेन की थीम वाले झंडे के अलावा कुछ नहीं बनाया.


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कंपनी की महाप्रबंधक फैन एपिंग के अनुसार पहले सप्ताह में कम से कम 5,00,000 झंडों की आपूर्ति की गई. लोगों ने शोक रखने या घर के बाहर झंडे लगाने के लिए इसकी खरीद की. कुछ लोगों ने एलिजाबेथ की तस्वीर और उनके जन्म और मृत्यु के वर्षों को प्रदर्शित करने वाले झंडे खरीदे. इन झंडों का आकार 21 से 150 सेमी तक चौड़ा है और इनकी कीमत सात युआन (एक डॉलर) है.


ग्राहक सीधे हमारे कारखाने तक आने लगे
पहले ग्राहक ने पूर्वाह्न तीन बजे एक ऑर्डर दिया. फैन ने कहा कि कारखाने में 20,000 झंडों का स्टॉक था और उसे सुबह तक बाजार के लिए भेज दिया गया. उन्होंने कहा, ‘‘ग्राहक उत्पादों को लेने के लिए सीधे हमारे कारखाने में आने लगे. कई झंडों को पैक भी नहीं किया गया था. उन्हें एक बॉक्स में डाल दिया गया और भेज दिया गया.’’


एलिजाबेथ के निधन से पहले इस कारखाने में फुटबॉल विश्व कप के लिए झंडे बनाए जा रहे थे. चुआंगडोंग कंपनी 2005 से विश्व कप और अन्य खेल आयोजनों या राष्ट्रीय दिवस समारोह के लिए झंडे तैयार करती रही है. यह स्पोर्ट्स-थीम वाले स्कार्फ और बैनर भी बनाती है. कर्मचारी उन घटनाओं की खबरों पर नजर रखते हैं जिससे आगे ऑर्डर मिलने की संभावना रहती है. फैन ने कहा, ‘‘हर समाचार के पीछे एक व्यावसायिक अवसर होता है.’’


मैंने ताजा घटनाओं से बहुत कुछ सीखा है
कंपनी में 2005 से काम कर रहे एक कर्मचारी नी गुओजेन ने कहा कि उसने अपने काम के माध्यम से दुनिया के बारे में सीखा है. गुओजेन ने कहा, ‘‘मैंने ताजा घटनाओं से बहुत कुछ सीखा है. मेरा ज्ञान बढ़ा है. इसलिए मुझे गर्व और खुशी है कि मैं झंडे बना रहा हूं.’’


गुओजेन को शाही शादी के लिए ब्रिटिश-थीम वाले झंडों के ऑर्डर की आपूर्ति की भी याद है. फैन ने कहा, ‘‘हर झंडे के पीछे एक कहानी होती है. इस बार यह ब्रिटेन की महारानी से जुड़ी है. वे इन झंडों को शोक की घड़ी में खरीद रहे हैं.’’


ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का आठ सितंबर को 96 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था. वह 70 साल तक राजगद्दी पर रहीं.


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