पाकिस्तान में ईसाइयों पर हमलों की बढ़ती संख्या के साथ,  अमेरिका के विभिन्न ईसाई संगठन, मानवाधिकार संगठनों के साथ मिल कर संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान मिशन पर समुदाय की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने का दबाव बना रहे हैं. जस्ट अर्थ न्यूज़ (जेईएन) ने यह जानकारी दी है.  सूत्रों ने बताया कि मिशन को पिछले एक साल में ऐसे सैकड़ों पत्र मिले हैं. 


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संगठनों द्वारा विरोध के ये पत्र ईसाइयों के व्यवस्थित उत्पीड़न की ओर इशारा करते हैं,  जिसमें ईशनिंदा का हवाला देते हुए अन्यायपूर्ण दंड, युवा ईसाई लड़कियों की वृद्ध मुस्लिम पुरुषों से जबरन शादी, पाकिस्तान के विभिन्न हिस्सों में जबरन धर्मांतरण और ईसाइयों की भूमि और संपत्ति को हड़पना शामिल है. हाल ही में, पाकिस्तान में दो अलग-अलग हमलों में दो ईसाई किसान मारे गए.


जेईएन के मुताबकि ईसाइयों के खिलाफ हमलों में वृद्धि पाकिस्तान में बिगड़ती कानून और व्यवस्था, चरमराती अर्थव्यवस्था और बिगड़ती राजनीतिक स्थिति के कारण हुई है.


ईसाई खेत मजदूर की हत्या
इससे पहले फरवरी 2023 में, पंजाब के खानेवाल जिले में एक मुस्लिम जमींदार मुहम्मद वसीम ने एक ईसाई खेत मजदूर इमैनुएल मसीह पर हमला किया और उस पर संतरे चुराने का झूठा आरोप लगाकर उसकी हत्या कर दी. 


इसी तरह, एक ईसाई अमरूद किसान अल्लाह दित्ता को तीन मुस्लिम युवकों द्वारा उसके कीमती फलों की चोरी का विरोध करने पर गोली मार दी गई थी.दोनों ही मामलों में आरोपी अभी भी आजाद घूम रहे हैं.


15 साल की ईसाई लड़की की जबरन शादी का मामला
ईसाई संगठनों ने 15 साल की ईसाई लड़की सितारा आरिफ की राणा तैय्यब नाम के 60 वर्षीय मुस्लिम व्यक्ति से जबरदस्ती शादी कराने पर भी प्रकाश डाला है.सितारा का पिछले दिसंबर में अपहरण कर लिया गया था और उसके परिवार के सदस्यों द्वारा बार-बार प्रयास करने के बावजूद दो महीने बाद ही मामला दर्ज किया गया था.


ईसाई पादरी की हत्या
जेईएन ने बताया कि पिछले साल, एक ईसाई पादरी, विलियम सिराज को पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिम में गोली मार दी गई थी.इसी तरह, पाकिस्तान में ईसाई स्कूल जो गरीब ईसाई परिवारों के लिए चलाए जाते हैं, उन्हें भी सुरक्षा प्रदान करने के नाम पर निशाना बनाया जाता है.


ऐसी ही एक घटना में पंजाब प्रांत के शेखपुरा शहर में कट्टरवादियों के एक समूह ने एक ईसाई स्कूल में तोड़फोड़ की और गरीब छात्रों के भोजन और शिक्षा के लिए रखे गए पैसे को लूट लिया.


ईशनिंदा कानून के जरिए अल्पंसंख्यकों का उत्पीड़न
पाकिस्तान, में ईसाई उत्पीड़न का एक लंबा इतिहास रहा है.देश के ईशनिंदा कानूनों का इस्तेमाल ईसाइयों और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने के लिए किया गया है, जिसके कारण अन्यायपूर्ण कारावास, यातना और यहां तक कि मौत भी हुई है.


हर साल ऐसे सैकड़ों मामले दर्ज होते हैं जो आमतौर पर अनसुलझे रह जाते हैं.जेईएन ने बताया कि कई लोग स्थानीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों से शिकायत करने से बचते हैं क्योंकि इससे अलगाव और लक्षित हमले होने का डर होता है.


इस तरह के लक्षित भेदभाव का समग्र परिणाम पाकिस्तान में ईसाइयों की घटती संख्या है.1980 के दशक में पेश किए गए पाकिस्तान के ईशनिंदा कानून कुख्यात रूप से अस्पष्ट हैं और व्याख्या के लिए खुले हैं.जेईएन ने बताया कि कानून इस्लाम के लिए अपमानजनक माने जाने वाले अपमान या कृत्यों को अपराध मानते हैं और इनमें गंभीर दंड का प्रावधान है जिसमें मौत की सजा भी शामिल है.


वास्तव में, इन कानूनों का इस्तेमाल असहमति को शांत करने और धार्मिक अल्पसंख्यकों को लक्षित करने और उन्हें धर्मांतरण के लिए मजबूर करने, मुसलमानों से जबरन शादी करने और यहां तक कि उनकी जमीन और संपत्ति हड़पने के लिए किया गया है.


(इनपुट - एएनआई)


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