Fawad Chaudhry On Chandrayaan-3: 23 अगस्त को जैसे ही घड़ी में शाम के 6 बजकर 4 मिनट हुए भारत ने इतिहास रच दिया. चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) के कदम चांद (Moon) के साउथ पोल (South Pole) पर पड़े, वैसे ही सारी शंकाएं और डर खत्म हो गया. चांद पर हिंदुस्तान के कदम पड़ते ही मिशन मून (Mission Moon) में शामिल तमाम वैज्ञानिक खुशी से झूमने लगे. असंभव जैसे दिखने वाले लक्ष्य को संभव बनाने वाले सभी साइंटिस्ट ने एक-दूसरे को गले लगाकर और हाथ मिलाकर बधाई दी. जोहान्सबर्ग में मौजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी वर्चुअली इस लैंडिंग को देख रहे थे. चंद्रयान-3 के चांद पर कदम रखते ही पीएम ने देशवासियों को बधाई दी. पीएम खुद को रोक नहीं पाए और विदेशी धरती पर हाथ में तिरंगा लहराने लगे. इस बीच, पाकिस्तान के पूर्व मंत्री फवाद चौधरी (Fawad Chaudhry) का भी रिएक्शन सामने आया है, जिन्होंने कभी चंद्रयान-2 की विफलता पर मजाक उड़ाया था.


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फवाद चौधरी का ट्वीट


फवाद चौधरी ने ट्वीट किया, 'चंद्रमा पर चंद्रयान-3 का उतरना इसरो के लिए कितना बड़ा क्षण है, मैं इसरो चीफ एस सोमनाथ के साथ तमाम युवा वैज्ञानिकों को इस क्षण का जश्न मनाते हुए देख सकता हूं. केवल सपने देखने वाली युवा पीढ़ी ही दुनिया को बदल सकती है. गुड लक.'



इसरो ने वो किया जो दुनिया नहीं कर पाई


गौरतलब है कि चंद्रयान-3 के चांद की धरती पर उतरने के साथ ही भारत उस एलिट क्लब में शामिल हो गया जो चांद की धरती को छू चुके हैं. इससे पहले अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कर चुके हैं. हालांकि, भारत के अलावा इनमें से कोई भी देश चांद के साउथ पोल पर नहीं पहुंच पाया है.


चांद पर रोवर की चहलकदमी


चंद्रयान-3 की चांद पर सफल लैंडिंग तो हो गई लेकिन चंद्रयान-3 चांद पर क्या करेगा और अगले 14 दिन तक उसका मिशन क्या है, इसके बारे में भी जान लेते हैं. विक्रम से बाहर आकर रोवर के चांद पर चहलकदमी करने के साथ ही हर किसी के मन में ये सवाल पैदा होने लगा कि चंद्रयान-3 अपने मिशन में अब आगे क्या करेगा. रोवर प्रज्ञान अब अगले 14 दिनों तक चांद के बारे में जानकारी इकट्ठा करेगा.


चांद पर क्या-क्या करेगा चंद्रयान-3?


इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-3 चंद्रमा की परत और आवरण की जांच करेगा. सतह पर मौजूद रसायनिक तत्वों की पहचान करेगा. चांद की मिट्टी और चट्टानों में रासायनिक यौगिकों का पता लगाएगा. मैग्नीशियम, एल्यूमीनियम, सिलिकॉन जैसे तत्वों की खोज करेगा. कैल्शियम और टाइटेनियम की तलाश करेगा. इसके अलावा चंद्रमा की सतह पर तापीय गुणों का अध्ययन करेगा. लैंडिंग स्थल पर भूकंप की गतिविधियों की जांच करेगा और ब्रह्मांड में पृथ्वी जैसे दूसरे गृहों की खोज में मदद भी करेगा.