China-US Data War: रॉकेट-मिसाइलों से नहीं अमेरिका को ऐसे जख्म दे रहा चीन, एक्सपर्ट्स ने दी ये बड़ी चेतावनी
US-China Relations: डर यह है कि अमेरिकी लोगों को इंप्रेस करने के लिए चीन कॉरपोरेट डेटा को चुरा रहा है और अपना दबदबा रखने के लिए टेक्नोलॉजी के भविष्य की नींव तैयार कर रहा है. कई अमेरिकी एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी देश का डेटा अपने कंट्रोल में लेना चाहती है.
China-America Conflicts: 21वीं सदी में डेटा सबसे बड़ी दौलत है. डेटा के इस दौर में अमेरिका और चीन के बीच संबंध बेहद खराब हैं. डेटा चोरी न हो इसके लिए हर संभव कोशिश की जा रही है. कई अमेरिकी विश्वविद्यालयों में जेनेटिक रिसर्चर रहे वांग जियांग चीन में स्थित दुनिया की सबसे बड़ी बायोटेक कंपनी बीजीआई के अध्यक्ष हैं. इस कंपनी ने कई दशकों तक अमेरिका के नामी जेनेटिक्स एक्सपर्ट्स के साथ काम किया है. लेकिन जब कोरोना के मामले बढ़े तो वांग ने अमेरिका में टेस्टिंग के लिए एक बड़ी लैब बनाने का ऑफर दिया. लेकिन डेटा चोरी ना हो जाए, इसलिए ये प्रस्ताव रिजेक्ट कर दिया गया.
विदेशी ताकतें चुरा सकती हैं डेटा
नेशनल काउंटर इंटेलिजेंस एंड सिक्योरिटी सेंटर ने एक सख्त चेतावनी जारी करते हुए कहा कि विदेशी ताकतें कोविड के मामलों के जरिए बायोमीट्रिक जानकारी चुरा सकती हैं. अमेरिका की ट्रंप सरकार में टॉप काउंटर इंटेलिजेंस ऑफिसर रहे बिल इवानिना ने कहा कि आज के जमाने में लैब ट्रोजन हॉर्स यानी छिपे हुए दुश्मन हैं. उन्होंने इसे चीनी सरकार का डीएनए कलेक्शन और डेटा माइनिंग बताया.
अमेरिकी कंपनियां जैसे फेसबुक, गूगल पूरी दुनिया में अपने यूजर्स के डेटा का इस्तेमाल कर विज्ञापन के जरिए पैसा कमाती हैं. लेकिन कई नीति निर्माता मानते हैं कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का विषय बनता जा रहा है. इसके साथ ही दुनिया भर में डेटा खतरे में है.
चीन चाहता है अपना दबदबा
डर यह है कि अमेरिकी लोगों को इंप्रेस करने के लिए चीन कॉरपोरेट डेटा को चुरा रहा है और अपना दबदबा रखने के लिए टेक्नोलॉजी के भविष्य की नींव तैयार कर रहा है. न्यूजवीक की रिपोर्ट के मुताबिक, हाल के महीनों में, कई अमेरिकी एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी देश का डेटा अपने कंट्रोल में लेना चाहती है.
अमेरिका और उसके इंटरनेट में सक्रिय चीनी कंपनियों की व्यापक समीक्षा और चोरी की आशंकाओं को देखते हुए विशेषज्ञों ने बाइडेन प्रशासन को आगाह किया है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि चीन अमेरिकी नागरिकों की जासूसी करने के साथ-साथ उसके आर्थिक, सैन्य और वाणिज्यिक हितों को भी नुकसान पहुंचाएगा.
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