India-China border dispute: भारत और चीन के बीच 16 दौर की वार्ता के बाद भी सीमा विवाद का कोई स्थाई समाधान नहीं निकल पाया है. ऐसे में अपनी विस्तारवादी नीति के तहत चीन अब भारत-अमेरिका के संयुक्त सैन्य अभ्यास को लेकर परेशान हो गया है. चीन के रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि वह भारत के साथ सीमा के मुद्दे पर किसी तीसरे पक्ष की दखल का का पूरी तरह से विरोध करता है और उम्मीद करता है कि भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास सैन्य अभ्यास नहीं करने के द्विपक्षीय समझौते का पालन करेगा. चीन पर पूर्वी लद्दाख में इन्हीं समझौतों के उल्लंघन का आरोप लगता रहा है जिसके कारण इलाके में तनाव के हालात हैं. 


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इस कदम से बौखलाया चीन


चीन के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता वरिष्ठ कर्नल तान केफेई ने हिमालय की दक्षिणी तलहटी में हाल में अमेरिका और भारत के विशेष बलों के संयुक्त अभ्यास करने और 'युद्धाभ्यास' कोड नाम वाले संयुक्त सैन्य अभ्यास की उनकी योजना की खबरों के संबंध में पूछे गये सवाल पर यह टिप्पणी की. दोनों देश अक्टूबर में एलएसी के पास जॉइंट मिलिट्री ड्रिल करने का प्लान कर रहे हैं. इस पर कर्नल तान ने कहा कि हम चीन-भारत सीमा मुद्दे पर किसी भी तरह किसी तीसरे पक्ष की दखल का पुरजोर विरोध करते हैं. उन्होंने कहा कि चीन ने हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि संबंधित देशों के, विशेष रूप से सैन्य अभ्यासों और प्रशिक्षण गतिविधियों पर सैन्य सहयोग में किसी तीसरे पक्ष को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए, बल्कि क्षेत्रीय शांति और स्थिरता बनाये रखने में मदद करनी चाहिए.


चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता तान ने कहा कि चीन-भारत का सीमा मुद्दा दोनों देशों के बीच का मसला है. उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने सभी स्तर पर डायलॉग को कायम रखा है और द्विपक्षीय डायलॉग के जरिए हालात से सही से निपटने पर सहमत हुए हैं. उन्होंने चीन के रक्षा मंत्रालय के हवाले से कहा कि चीन और भारत द्वारा 1993 व 1996 में किये गये संबंधित समझौतों के मद्देनजर किसी भी पक्ष को LAC के पास के क्षेत्रों में दूसरे के खिलाफ सैन्य अभ्यास करने की इजाजत नहीं है.


अब आई सीमा समझौते की याद


कर्नल तान केफेई ने कहा, ‘उम्मीद की जाती है कि भारतीय पक्ष दोनों देशों के नेताओं के बीच हुई आम-सहमति का और संबंधित समझौतों का कड़ाई से पालन करेगा, द्विपक्षीय माध्यमों से सीमा मुद्दों के समाधान की अपनी प्रतिबद्धता कायम रखेगा और व्यावहारिक कार्रवाइयों के साथ सीमा क्षेत्र में शांति और अमन-चैन बनाकर रखेगा.’ चीन के रक्षा मंत्रालय का 1993 और 1996 के समझौतों का संदर्भ देना इस मायने में दिलचस्प है कि पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में LAC के विवादित क्षेत्रों में बड़ी संख्या में सैनिकों को पहुंचाने की कोशिश से दोनों के बीच बड़ा सैन्य गतिरोध पैदा हो गया था जो अब तक जारी है.


भारत ने कहा है कि PLA की कार्रवाइयां द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन हैं. दोनों पक्षों ने फेस वाइज मिलिट्री और डिप्लोमेटिक डायलॉग के जरिए पिछले साल पैंगोंग झील के उत्तरी व दक्षिणी इलाके के साथ गोगरा इलाके से सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया पूरी की थी. अभी तक दोनों पक्षों ने गतिरोध के समाधान के लिए 16 दौर की कमांडर स्तर की वार्ता की है. भारत लगातार कहता रहा है कि एलएसी पर शांति और अमन-चैन द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए अहम है.


विदेश मंत्री जयशंकर ने लगाई लताड़


लैटिन अमेरिका देशों की यात्रा पर गये विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पिछले सप्ताह कहा था कि चीन ने भारत के साथ सीमा संबंधी समझौतों को तोड़ा है और इससे द्विपक्षीय संबंधों पर असर पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि स्थायी संबंध एकतरफा नहीं हो सकते हैं और इसमें परस्पर सम्मान होना चाहिए. जयशंकर ने शनिवार को ब्राजील के साओ पाउलो में कहा कि चीन ने इसकी अवहेलना की है. कुछ साल पहले गलवान घाटी में क्या हुआ था, आप जानते हैं. उस समस्या का समाधान नहीं हुआ है और यह साफ रूप से असर डाल रहा है.


भारत और अमेरिका तेजी से बदल रहे क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य के बीच अक्टूबर में उत्तराखंड के औली में दो सप्ताह से अधिक अवधि का बड़ा सैन्याभ्यास शुरू करेंगे. रक्षा और सैन्य प्रतिष्ठान के सूत्रों ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि ‘युद्ध अभ्यास’ का 18वां एडिशन 14 से 31 अक्टूबर तक चलेगा. उन्होंने कहा कि बीते साल अमेरिका के अलास्का में इसका पिछला एडिशन पूरा हुआ था. 


(इनपुट: एजेंसी)


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